पेट्रोल भरवाते ही अचानक ख़राब हुई महिंद्रा कार,
मालिक ने इंडियन आयल पर लगाए गंभीर आरोप
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
दिल्ली में एक महिंद्रा XUV700 कार के अचानक खराब होने ने ईंधन की गुणवत्ता और पेट्रोल पंप की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कार मालिक के मुताबिक, यह घटना उस समय हुई जब उन्होंने अपने ऑफिस के पास स्थित एक इंडियन ऑयल पेट्रोल पंप से फुल टैंक पेट्रोल भरवाया। कार मालिक ने बताया कि फ्यूल भरवाने के कुछ देर बाद ही कार में “चेक इंजन सिस्टम” की चेतावनी दिखाई देने लगी और वाहन ने स्टार्ट लेना बंद कर दिया। अंततः गाड़ी को नजदीकी महिंद्रा वर्कशॉप तक टो कर के ले जाया गया।
टैंक में मिला पानी मिला हुआ पेट्रोल
वर्कशॉप में जब कार की जांच की गई तो मैकेनिक्स ने फ्यूल टैंक खाली कर नमूना निकाला, जिसमें पानी मिला हुआ पेट्रोल पाया गया। यह नमूना सीधे कार के टैंक से लिया गया था। मैकेनिक्स ने टैंक की सफाई शुरू कर दी और उसे नए पेट्रोल से भरने की तैयारी की। हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर समस्या बनी रही, तो फ्यूल पंप या मोटर को बदलना पड़ सकता है, जिससे महंगे रिपेयर चार्जेस लग सकते हैं।
जिम्मेदारी किसकी — पेट्रोल पंप या इंडियन ऑयल?
इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर जिम्मेदारी और मुआवजे को लेकर। कार मालिक ने पूछा कि जब समस्या इंडियन ऑयल के पंप से पेट्रोल भरवाने के तुरंत बाद हुई, तो क्या कंपनी या पेट्रोल पंप मालिक को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर इंडियन ऑयल जिम्मेदारी से इनकार करता है, तो क्या कंज़्यूमर कोर्ट में मुआवजे की मांग की जा सकती है। साथ ही, यह भी पूछा गया कि क्या कार इंश्योरेंस पॉलिसी इस तरह के नुकसान को कवर करती है या नहीं।
सोशल मीडिया पर गहराता अविश्वास
यह मामला सामने आते ही सोशल मीडिया पर फ्यूल कंटैमिनेशन को लेकर बड़ी बहस छिड़ गई। एक यूज़र ने सुझाव दिया कि कार मालिक को सीधे पेट्रोल पंप के मालिक से कंपनसेशन की मांग करनी चाहिए। वहीं, एक अन्य यूज़र ने बताया कि उन्हें भी इंडियन ऑयल के पेट्रोल से ठीक ऐसी ही समस्या का सामना करना पड़ा था और उन्होंने दोबारा वहां से फ्यूल न भरवाने की कसम खा ली। इन तमाम घटनाओं से साफ है कि उपभोक्ताओं में ईंधन की गुणवत्ता को लेकर अविश्वास तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए रिटेल आउटलेट्स पर ईंधन की सख्त निगरानी बेहद जरूरी है।