जंगलों की आग से लड़ने उतरेगा AI ड्रोन,
धुएं के कणों से पहले ही देगा खतरे का अलर्ट
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
आज के समय में जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों से जूझ रही है, तब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इंसानियत के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर उभर रहा है। हर साल दुनिया भर में जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिनसे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। कई बार आग को बुझाने में महीनों लग जाते हैं और इसमें करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं। लेकिन अब इस समस्या से निपटने के लिए एक बड़ी तकनीकी खोज की गई है।
मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की खास खोज अमेरिका की मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ऐसा AI ड्रोन बनाया है जो जंगलों में लगने वाली आग के धुएं और राख के कणों का विश्लेषण कर यह अनुमान लगा सकता है कि आग किस दिशा में फैल सकती है। यह ड्रोन हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों से डेटा इकट्ठा करता है और उसे तुरंत जमीन पर मौजूद कंप्यूटर सिस्टम को भेज देता है। कंप्यूटर इस डेटा का विश्लेषण करके बताता है कि धुआं कितनी ऊंचाई तक गया है, किस दिशा में जा रहा है और कितनी दूरी तक फैल सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन आंकड़ों से आग की रफ्तार और फैलाव का सही अनुमान लगाया जा सकेगा, जिससे बड़े नुकसान को पहले ही रोका जा सकेगा।
कई असफलताओं के बाद मिली सफलता इस ड्रोन प्रोजेक्ट को सफलता पाने में वैज्ञानिकों को लंबा समय लगा। शुरुआती मॉडल बार-बार दुर्घटनाग्रस्त हो जाते थे या सही डेटा नहीं जुटा पाते थे। बाद में टीम ने बेहतर सेंसर, बड़े प्रोपेलर और मजबूत मोटर लगाए। नतीजा यह हुआ कि अब ये नए ड्रोन 150 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकते हैं और 25 मिनट तक लगातार डेटा इकट्ठा कर सकते हैं। प्रोफेसर वेंग के अनुसार, धुएं और राख के कणों का व्यवहार समझना बहुत कठिन होता है, लेकिन इनके पैटर्न का अध्ययन कर वैज्ञानिक आग की दिशा और फैलाव का अनुमान पहले ही लगा सकते हैं।
खुद से रास्ता बदल लेंगे ड्रोन प्रोफेसर जियारोंग हांग ने बताया कि भविष्य में इस तकनीक को बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया जाएगा। कई ड्रोन एक साथ उड़ेंगे, जिनमें से एक मुख्य ड्रोन बाकी सभी को कंट्रोल करेगा। जैसे ही हवा की दिशा बदलेगी, ये ड्रोन अपने रास्ते खुद बदल लेंगे। यह तकनीक केवल इमरजेंसी के समय ही नहीं, बल्कि नियंत्रित आग (controlled fire) जैसी गतिविधियों में भी काम आएगी ताकि किसी छोटे हादसे को बड़ा रूप लेने से पहले रोका जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज आने वाले समय में जंगलों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित होगी।