सरकार का बड़ा फैसला: अब हर नए स्मार्टफोन में होगा Sanchar Saathi ऐप,
चोरी और साइबर फ्रॉड पर लगेगी रोक
9 days ago
Written By: Aniket Prajapati
भारत सरकार ने देश में बढ़ते साइबर अपराध और मोबाइल चोरी के मामलों को देखते हुए एक बड़ा और कड़ा कदम उठाया है। 28 नवंबर को जारी आदेश के बाद अब भारत में बनने और बिकने वाले सभी नए स्मार्टफोन्स में सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप Sanchar Saathi प्रीलोडेड होगा। सरकार का कहना है कि यह ऐप चोरी हुए फोन ढूंढने, फर्जी IMEI नंबर पकड़ने और धोखाधड़ी वाले कॉल की जानकारी देने में बेहद कारगर है। इससे पहले ही लाखों फोन इसी ऐप की मदद से ट्रेस किए जा चुके हैं। हालांकि, इस आदेश को लेकर तकनीकी कंपनियों, खासकर Apple जैसी कंपनियों में नाराज़गी दिखाई दे रही है, क्योंकि वे अपने डिवाइसेज़ में किसी भी प्री-लोडेड ऐप की इजाज़त नहीं देतीं।
नया आदेश क्या कहता है?
सरकार ने 28 नवंबर को कंपनियों को निर्देश दिया कि Sanchar Saathi ऐप हर नए स्मार्टफोन में पहले से मौजूद होगा और यूजर इसे हटा नहीं सकेगा। कंपनियों को यह नियम लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, कई कंपनियों ने नाराज़गी जताई है और कहा कि इस फैसले से पहले उनसे कोई सलाह नहीं ली गई।
Sanchar Saathi ही क्यों चुना गया
मोबाइल चोरी, फर्जी IMEI नंबर, साइबर फ्रॉड और धोखाधड़ी वाले कॉल लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में Sanchar Saathi ऐप यूजर को कई तरह की मदद देता है। इस ऐप से चोरी हुए फोन को तुरंत ब्लॉक किया जा सकता है, फर्जी IMEI नंबर पहचाने जा सकते हैं और संदिग्ध कॉल या नंबर की शिकायत भी की जा सकती है। सरकार का मानना है कि इस ऐप से मोबाइल सुरक्षा राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होती है और चोरी के फोन बेचने का काम अपराधियों के लिए मुश्किल बन जाता है।
ऐप की बड़ी उपलब्धियां
Sanchar Saathi ऐप इसी साल जनवरी में लॉन्च हुआ था और इसे अब तक 50 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इसकी मदद से अब तक 3.7 मिलियन से ज्यादा चोरी या गुम हुए फोन ब्लॉक किए गए। केवल अक्टूबर महीने में ही 50 हजार चोरी हुए फोन वापस खोजे गए। इसके अलावा, ऐप ने 30 मिलियन से ज्यादा फर्जी मोबाइल कनेक्शन बंद कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
यूजर पर कैसा असर पड़ेगा
स्मार्टफोन कंपनियां भले इस आदेश से परेशान हों, लेकिन आम यूजर पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। पहले से ही कई कंपनियां अपने फोन में प्री-लोडेड ऐप्स देती हैं। ऐसे में एक और ऐप जुड़ जाने से फोन के इस्तेमाल में कोई दिक्कत नहीं आएगी। वहीं, यह ऐप चोरी हुए फोन वापस पाने, फर्जी नंबर की शिकायत करने या संदिग्ध IMEI जांचने में बेहद काम आता है। इसलिए यह कदम यूजर की सुरक्षा को मजबूत करेगा और किसी भी तरह की परेशानी नहीं पैदा करेगा।