Indian Made Cars: होंडा सिटी से लेकर निसान मैग्नाइट तक, कई कारें अपने देश में नहीं दिखा पाईं जलवा,
लेकिन विदेशों में बन गईं लोगों की पहली पसंद
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Indian Made Cars: भारत में बनी कुछ कारें अब देश की सड़कों पर कम, लेकिन विदेशों की गलियों में ज्यादा दौड़ रही हैं। होंडा सिटी, होंडा एलिवेट, निसान सनी, निसान मैग्नाइट, ह्यूंदै वर्ना और जीप मेरिडियन जैसी कारें अब भारत से ज्यादा विदेशों में बिक रही हैं। ये कारें पहले भारतीय ग्राहकों के लिए बनाई गई थीं। लेकिन उम्मीद के मुताबिक इनकी देश में बिक्री नहीं हुई। इसके उलट, विदेशों में इनकी खूब डिमांड रही। इस वजह से कंपनियों ने इनका फोकस एक्सपोर्ट पर कर दिया। सियाम की रिपोर्ट के अनुसार, कम घरेलू मांग और ग्लोबल डिमांड की समझ ने यह बदलाव लाया है।
क्यों बदला कार कंपनियों ने रास्ता
कार कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती थी। अगर भारत में गाड़ियां नहीं बिकतीं, तो प्रोडक्शन रोकना पड़ता। इससे फैक्ट्री और सप्लायर्स दोनों को नुकसान होता। इसलिए कंपनियों ने फैसला लिया कि वे गाड़ियों को विदेशों में बेचेंगी। इससे उत्पादन भी जारी रहा और एक्सपोर्ट से मुनाफा भी हुआ।
होंडा एलिवेट: भारत में ठंडी, जापान में गर्म
होंडा ने 2023 में एलिवेट लॉन्च की थी। यह भारत में SUV सेगमेंट में हिट होने वाली थी। लेकिन यहां इसकी सिर्फ़ 22,321 यूनिट्स ही बिकीं। जबकि, विदेश में इसकी 45,167 यूनिट्स बिकीं। जापान में इसे WR-V के नाम से बेचा जा रहा है। होंडा ने तुरंत अपना ध्यान अंतरराष्ट्रीय बाज़ार की ओर मोड़ दिया।
ह्यूंदै वर्ना: भारत में कम पसंद, विदेशों में ज्यादा
ह्यूंदै ने वर्ना को फिर लॉन्च किया था। मकसद था सेडान बाजार को दोबारा जीवित करना। लेकिन भारत में लोग ज्यादा नहीं जुड़े। इसके बाद कंपनी ने 50,000 से ज्यादा यूनिट्स मिडल ईस्ट, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बेच दीं।
निसान की सनी और मैग्नाइट
सनी को भारत में 2020 में बंद कर दिया गया था। लेकिन अब पूरी तरह एक्सपोर्ट के लिए बनाई जा रही है। FY25 में करीब 42,000 यूनिट्स विदेश भेजी गईं। वहीं, मैग्नाइट की विदेशों में मांग भारत से ज्यादा है।
जीप मेरिडियन: भारत में धीमी, विदेशों में तेज़
जीप मेरिडियन की भी यही कहानी है। भारत में ज्यादा नहीं बिकी, लेकिन विदेशों में अच्छी डिमांड देखी गई।
विशेषज्ञों की राय
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यह ट्रेंड दिखाता है कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्वालिटी अब वर्ल्ड क्लास हो गई है। लेकिन यह भी साफ है कि कुछ कंपनियां अभी तक भारतीय ग्राहकों की पसंद नहीं समझ पाईं।
आगे का रास्ता
अब स्कोडा जैसी कंपनियां भी भारत में बनी कारें जैसे स्लाविया को विदेशी बाजारों में भेजने की तैयारी कर रही हैं। जब तक भारत में बिक्री नहीं बढ़ती, तब तक विदेश ही इन गाड़ियों के लिए नई राह बना रहे हैं।