गाड़ी बेच रहे हैं? एक छोटी सी चूक और पुलिस आपके घर तक आ सकती है…
जानिए 5 अनिवार्य कागज
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
आज के डिजिटल दौर में पुरानी कार या बाइक बेचना पहले से कहीं आसान हो गया है। बस एक फोटो खींचिए, इंस्टाग्राम या OLX जैसी वेबसाइट पर डालिए और कुछ ही मिनटों में खरीदार मिल जाता है। पैसे मिलते ही लोग समझ लेते हैं कि कहानी खत्म हो गई, लेकिन असली कहानी तो यहीं से शुरू होती है। क्योंकि गाड़ी बेच देना आसान है, लेकिन उसकी कानूनी जिम्मेदारी से पूरी तरह मुक्त होना सबसे जरूरी कदम है। अगर ज़रा सी भी चूक हुई, तो अगले हादसे, चालान या केस में गाड़ी के साथ आपका नाम भी चल सकता है।
RC ट्रांसफर सबसे जरूरी, वरना पुराने मालिक पर बनेगा केस मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के अनुसार, किसी भी वाहन को बेचते समय सबसे अहम दस्तावेज होता है रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC)। RC इस बात का प्रमाण है कि सरकारी रिकॉर्ड में गाड़ी किसके नाम दर्ज है। गाड़ी बेचने के बाद नया RC बनवाना अनिवार्य है। केवल मौखिक या लिखित करारनामे से काम नहीं चलेगा। अगर RC ट्रांसफर नहीं हुआ और नए मालिक की गाड़ी से कोई दुर्घटना होती है, तो केस में पुराने मालिक का भी नाम जुड़ सकता है। एक केस में ऐसा ही हुआ जब एक लड़की की मौत के बाद स्कूटी की RC पुराने मालिक के नाम पर पाई गई, तो केस उसी पर दर्ज हुआ।
गाड़ी बेचते समय जरूरी फॉर्म और दस्तावेज गाड़ी का मालिकाना हक सही तरीके से ट्रांसफर करने के लिए तीन फॉर्म जरूरी होते हैं Form 28, 29 और 30।
Form 28: यह एक नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) होता है, जो बताता है कि वाहन पर कोई कानूनी अड़चन नहीं है।
Form 29: यह RTO को सूचित करता है कि आपने अपनी गाड़ी बेच दी है। इसकी दो कॉपी जमा करनी होती हैं।
Form 30: यह ट्रांसफर की पुष्टि करने वाला फॉर्म है, जिसे RTO में जमा करना अनिवार्य है।
इन तीनों फॉर्म को आप परिवहन मंत्रालय की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं।
PUC और इंश्योरेंस भी जरूरी गाड़ी बेचने से पहले यह सुनिश्चित करें कि उसके पास PUC सर्टिफिकेट और एक्टिव इंश्योरेंस पॉलिसी हो। PUC यह साबित करता है कि आपकी गाड़ी से निकलने वाला धुआं सरकारी मानकों के अनुसार है। इलेक्ट्रिक वाहनों को इससे छूट है। वहीं, अगर इंश्योरेंस एक्सपायर है तो RTO ट्रांसफर नहीं करेगा।
पहचान और एड्रेस प्रूफ जरूरी गाड़ी बेचते समय पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ (जैसे आधार, वोटर ID, पासपोर्ट) और दो पासपोर्ट साइज फोटो की सेल्फ-अटेस्टेड कॉपी जमा करनी होती है। साथ ही एक सेल्स एफिडेविट पर खरीदार और विक्रेता दोनों के साइन जरूरी हैं, जिसमें यह दर्ज होता है कि अब वाहन से जुड़ी सभी जिम्मेदारियां नए मालिक की होंगी। इसे नोटरी से प्रमाणित कराना जरूरी है।