हर दिन 28 लाख साइबर हमले झेल रहा ताइवान,
चीन पर लगाया गंभीर आरोप
9 days ago Written By: Aniket Prajapati
जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी तेजी से एडवांस हो रही है, वैसे-वैसे उसके फायदे तो मिल रहे हैं, लेकिन नुकसान भी किसी खतरे से कम नहीं। डिजिटल दुनिया में जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्मार्ट सिस्टम इंसान की जिंदगी आसान बना रहे हैं, वहीं साइबर क्राइम और हैकिंग अब एक ग्लोबल थ्रेट बन चुके हैं। इसी बीच एशिया के एक देश ताइवान से आई खबर ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। यहां के सरकारी संस्थानों और अहम इंफ्रास्ट्रक्चर पर हर दिन करीब 28 लाख साइबर हमले हो रहे हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 17% ज्यादा हैं। ताइवान ने इन बढ़ते हमलों के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे “सुनियोजित साइबर वॉरफेयर” बताया है।
हर दिन 28 लाख साइबर अटैक, स्थिति गंभीर ताइवान के नेशनल सिक्योरिटी ब्यूरो द्वारा जारी ताजा आंकड़ों में बताया गया है कि देश पर हो रहे डिजिटल हमलों की रफ्तार पिछले साल की तुलना में काफी बढ़ी है। इन आंकड़ों के मुताबिक, इस साल औसतन 28 लाख साइबर हमले प्रतिदिन दर्ज किए जा रहे हैं, जो कि पिछले साल के 24 लाख हमलों की तुलना में काफी ज्यादा हैं। इस बढ़ती साइबर गतिविधि ने ताइवान की डिजिटल सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है।
🇨🇳 ताइवान ने चीन को ठहराया जिम्मेदार स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, ताइवान के राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग ने सीधे तौर पर चीन को इन हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि इन हमलों के पीछे चीन की "ऑनलाइन ट्रोल आर्मी" सक्रिय है, जो न केवल सरकारी सिस्टम्स में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है, बल्कि गलत सूचनाएं फैलाकर ताइवान के लोगों का सरकार की साइबर सुरक्षा पर भरोसा भी कमजोर करना चाहती है, रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवानी एजेंसियों ने अब तक करीब 10,000 संदिग्ध सोशल मीडिया अकाउंट्स की पहचान की है जो 15 लाख से अधिक फेक और भ्रामक संदेश फैलाने में शामिल हैं। यह एक सुनियोजित कोशिश है जिससे देश के भीतर अस्थिरता पैदा की जा सके।
मेडिकल, डिफेंस और एनर्जी सेक्टर बन रहे हैं निशाना इन हमलों में सिर्फ सरकारी वेबसाइट्स ही नहीं, बल्कि मेडिकल सिस्टम, डिफेंस नेटवर्क, टेलीकम्युनिकेशन और एनर्जी सेक्टर जैसी अहम सेवाओं को भी टारगेट किया जा रहा है। ताइवान का कहना है कि हैकर्स लगातार इन संस्थानों से संवेदनशील जानकारी चुराने की कोशिश कर रहे हैं। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ डेटा चोरी का मामला नहीं, बल्कि एक “डिजिटल वॉरफेयर स्ट्रैटेजी” है जिसमें दुश्मन देश की डिजिटल क्षमता और जनता के भरोसे को कमजोर किया जाता है।
चीन का पलटवार, इस मामले पर चीन ने कड़ा जवाब दिया है और ताइवान के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। चीन का कहना है कि ताइवान खुद साइबर हमलों में शामिल है और बीजिंग पर बेबुनियाद आरोप लगा रहा है। हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। चीन ने हाल ही में ताइवानी सेना के 18 अधिकारियों पर "अलगाववादी संदेश" फैलाने का आरोप लगाया है और उनके खिलाफ इनाम की घोषणा भी की है। यह घटनाक्रम उस समय आया है जब ताइवान बार-बार चीन पर अपनी संप्रभुता (Sovereignty) में दखल देने का आरोप लगा रहा है, कभी सैन्य अभ्यास के नाम पर, तो कभी साइबर हमलों के ज़रिए।