इंटरनेट पर चुपके से होती है फिंगरप्रिंटिंग,
ऐसे लीक हो सकती है आपकी पर्सनल डिटेल
11 days ago Written By: अनिकेत प्रजापति
जब भी आप इंटरनेट पर कुछ सर्च करते हैं या किसी वेबसाइट को खोलते हैं, तो आपका ब्राउज़र उस वेबसाइट के सर्वर को कई तरह की जानकारियां भेजता है। इनमें आपका IP एड्रेस, ब्राउज़र का नाम, उसका वर्जन, ऑपरेटिंग सिस्टम और आपके डिवाइस से जुड़ी छोटी-छोटी तकनीकी डिटेल शामिल होती हैं इन्हीं डिटेल्स को मिलाकर एक यूनिक ‘फिंगरप्रिंट’ बनाया जाता है, जो आपकी ऑनलाइन पहचान तय करता है। खास बात यह है कि यह प्रक्रिया बिल्कुल चुपचाप और आपकी जानकारी के बिना होती है। यानी आपका ब्राउज़र आपके बारे में जितनी जानकारी रखता है, उतना ही बड़ा खतरा डेटा लीक का भी बन जाता है।
कुकीज़ और फिंगरप्रिंट में क्या है फर्क?
टेक वेबसाइट PCMag की रिपोर्ट के मुताबिक, कुकीज़ (Cookies) एक छोटी टेक्स्ट फाइल होती है, जो वेबसाइट आपके डिवाइस में सेव करती है. इससे वेबसाइट को आपकी पिछली विजिट, लॉगिन डिटेल या शॉपिंग हिस्ट्री जैसी जानकारी याद रहती है। लेकिन फिंगरप्रिंटिंग (Fingerprinting) इससे बिल्कुल अलग है. इसमें कोई भी फाइल आपके कंप्यूटर में सेव नहीं होती. वेबसाइट आपके ब्राउज़र और सिस्टम से मिली जानकारियों का इस्तेमाल करती है। जैसे आपकी स्क्रीन रेज़ॉल्यूशन, फॉन्ट्स की लिस्ट, टाइम ज़ोन, और ब्राउज़र एक्सटेंशन तक. यही वजह है कि फिंगरप्रिंटिंग को रोकना कुकीज़ की तुलना में कहीं ज्यादा मुश्किल होता है।
कैसे बनता है आपका डिजिटल फिंगरप्रिंट ?
जब भी कोई वेबसाइट खुलती है, तो ब्राउज़र अपने आप आपके सिस्टम की कई तकनीकी जानकारी शेयर करता है. इसमें IP एड्रेस, ब्राउज़र टाइप, ऑपरेटिंग सिस्टम, CPU मॉडल, GPU डिटेल, और सिस्टम में इंस्टॉल किए गए फॉन्ट्स की जानकारी शामिल होती है। हर कंप्यूटर के फॉन्ट्स का सेट थोड़ा अलग होता है, जो आपकी मशीन को यूनिक बनाता है. इन सभी डेटा पॉइंट्स को मिलाकर वेबसाइट या ट्रैकर एक यूनिक “डिजिटल फिंगरप्रिंट” तैयार करते हैं। इसका इस्तेमाल आपकी ऑनलाइन मूवमेंट्स को ट्रैक करने और पर्सनल डेटा का प्रोफाइल बनाने में किया जाता है।
ऐसे बचाएं अपनी ऑनलाइन प्राइवेसी
ब्राउज़र फिंगरप्रिंटिंग से बचने का कोई एक फुलप्रूफ तरीका नहीं है, लेकिन कुछ उपाय अपनाकर आप अपनी ऑनलाइन पहचान को काफी हद तक सुरक्षित रख सकते हैं. सबसे आसान उपाय है - VPN का इस्तेमाल करें. यह आपके असली IP एड्रेस को छिपाकर किसी दूसरे देश की लोकेशन दिखाता है, जिससे आपकी पहचान को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है , दूसरा उपाय है - प्राइवेट या इंकॉग्निटो मोड में ब्राउज़ करें. इससे आपकी ब्राउज़िंग हिस्ट्री, लॉगिन डेटा और कुछ कुकीज़ सेव नहीं होतीं. हालांकि, यह तरीके फिंगरप्रिंटिंग को पूरी तरह रोक नहीं सकते, लेकिन आपकी डिजिटल प्राइवेसी को बेहतर बनाते हैं और ट्रैकिंग को सीमित कर देते हैं।