सावधान..आपकी जेब में पड़े पुरानें नोट बन रहें हैं गंभीर बीमारियों की वजह..!
जांच रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा…
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
भारतीय करेंसी नोट सिर्फ लेन-देन का जरिया नहीं, बल्कि खतरनाक बीमारियों का एक बड़ा स्रोत भी हो सकते हैं। राजस्थान के किशनगढ़ स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान की बायोटेक्नोलॉजी लैब में हुई एक ताज़ा जांच ने चौंकाने वाले तथ्य सामने लाए हैं। यह खुलासा हुआ है कि हमारी जेब में रखे 10, 20, 50 और 100 रुपये के नोटों पर खतरनाक फंगस और बैक्टीरिया मौजूद हैं, जो गंभीर संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
भीड़-भाड़ वाले स्थानों से एकत्रित किए गए नोट
इस रिसर्च के लिए एक संस्था ने दूध बेचने वालों, पताशी की ठेलियों, अस्पतालों, मेडिकल स्टोर्स, पेट्रोल पंपों और दुकानों जैसे भीड़-भाड़ वाले स्थानों से नोट एकत्रित किए। इन नोटों को जांच के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी की बायोटेक्नोलॉजी लैब में भेजा गया, जहां वैज्ञानिकों ने विशेष तकनीक का इस्तेमाल करके नोटों पर मौजूद सूक्ष्मजीवों का परीक्षण किया।
नोटों पर पाए गए पांच तरह के खतरनाक फंगस
लैब की जांच में पाया गया कि करेंसी नोटों पर पांच खतरनाक फंगस मौजूद हैं, पेनीसिलियम, क्लेडोस्पोरियम, फ्यूजेरियम, एस्परजिलस और ट्राइकोडर्मा। इन फंगस की मौजूदगी से श्वसन संबंधी बीमारियां, त्वचा संक्रमण और एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यही नहीं, शोध में चार प्रकार के खतरनाक बैक्टीरिया भी पाए गए। जो कि ई.कोलाई, स्टैफिलोकोकस, क्लेबसिएला और स्यूडोमोनास, जो गंभीर संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
कॉटन पेपर से बने नोट हैं संक्रमण वाहक
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय करेंसी नोट कॉटन पेपर से बने होते हैं, जो नमी को आसानी से सोख लेते हैं। यही वजह है कि बैक्टीरिया और फंगस इन पर तेजी से पनप जाते हैं। इसके अलावा लोग अक्सर नोट गिनने के लिए थूक लगाकर नोट पलटते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है। यही कारण है कि इन नोटों के जरिए आंखों के संक्रमण, फेफड़ों की बीमारी और यहां तक कि टीबी जैसी गंभीर बीमारियां भी फैल सकती हैं।
48 घंटे तक जिंदा रहते हैं टीबी के बैक्टीरिया
सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जयकांत और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जन्मेजय के अनुसार, फंगल स्पोर 3 से 4 साल तक खत्म नहीं होते। वहीं, टीबी के बैक्टीरिया नकदी पर 24 से 48 घंटे तक जीवित रहते हैं। इस दौरान यदि ये नोट किसी अन्य व्यक्ति के संपर्क में आते हैं, तो संक्रमण सीधे फैल सकता है।
नोटों की जांच की प्रक्रिया
रिसर्च टीम ने नोटों की जांच के लिए एक सख्त प्रक्रिया अपनाई। सबसे पहले नोटों को सेनेटाइज्ड कॉटन से साफ किया गया, ताकि बाहरी संक्रमण न हो। फिर इन्हें लैमिनर फ्लोहुड में संक्रमण-रहित वातावरण में रखा गया। इसके बाद नोटों को ठोस एगर प्लेट्स पर रखा गया और 37 डिग्री तापमान पर 8 से 9 घंटे तक इनक्यूबेटर में रखा गया। कुछ ही घंटों में बैक्टीरिया की कॉलोनियां तेजी से विकसित हो गईं, जिससे उनकी पहचान करना आसान हो गया।
अमेरिकी रिसर्च में भी सामने आया था खतरा
यह समस्या केवल भारत तक सीमित नहीं है। साल 2017 में प्लॉस वन जर्नल में प्रकाशित न्यूयॉर्क करेंसी पर की गई एक रिसर्च में भी ऐसे ही खतरनाक सूक्ष्मजीव पाए गए थे। उस शोध में भी यह सामने आया था कि करेंसी नोट त्वचा रोग, मुहांसों और कई गंभीर संक्रमणों के वाहक बन सकते हैं।
नोट गिनते समय थूक लगाने की आदत छोड़ें
विशेषज्ञों का सुझाव है कि नकदी का इस्तेमाल करते समय लोगों को बेहद सतर्क रहना चाहिए। नोट गिनते समय थूक लगाने की आदत तुरंत छोड़ दें। बार-बार हाथ धोने की आदत डालें और जहां तक संभव हो, डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल बढ़ाएं। क्योंकि हमारी जेब में रखा यह पैसा कब किसी बड़ी बीमारी का कारण बन जाए, कहा नहीं जा सकता।