वायु प्रदूषण गर्भवती महिलाओं और शिशु के लिए बड़ा खतरा:
डॉक्टर मानिनी पटेल ने बताया—कैसे बढ़ रहा जोखिम
8 days ago
Written By: Aniket Prajapati
वायु प्रदूषण अब सिर्फ पर्यावरण की समस्या नहीं रह गया है। यह गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए गंभीर स्वास्थ्य खतरा बन चुका है। हवा में मौजूद जहरीली गैसें, रसायन और सूक्ष्म कण शरीर में ऐसे बदलाव पैदा करते हैं, जो गर्भावस्था को जटिल बना देते हैं और भ्रूण के विकास पर दीर्घकालिक प्रभाव डालते हैं। जयपुर स्थित अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल की आब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मानिनी पटेल ने बताया कि तेजी से बढ़ता प्रदूषण गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के स्वास्थ्य को किस तरह नुकसान पहुंचा रहा है।
PM 2.5 और PM 10 से सांस संबंधी समस्याएं
डॉ.के अनुसार, प्रदूषित हवा में मौजूद PM 2.5 और PM 10 जैसे सूक्ष्म कण गर्भवती महिलाओं के फेफड़ों तक पहुंचकर सूजन बढ़ाते हैं। इससे सांस लेने में कठिनाई, पहले से मौजूद अस्थमा का बढ़ना और रेस्पिरेटरी इंफेक्शन का खतरा अधिक हो जाता है। गर्भावस्था में जब शरीर को सामान्य से अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है, ऐसे में प्रदूषण फेफड़ों की क्षमता सीमित कर देता है। इसका असर माँ और गर्भस्थ शिशु—दोनों को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिल पाने के रूप में दिखाई देता है।
गर्भस्थ शिशु पर प्रदूषण के गंभीर प्रभाव
समय से पहले डिलीवरी का खतरा:
उच्च प्रदूषण स्तर प्रीमैच्योर डिलीवरी के जोखिम को बढ़ा देते हैं। शोध बताते हैं कि सूक्ष्म कण प्लेसेंटा में जमा होकर उसके कार्य को प्रभावित करते हैं, जिससे शिशु पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
जन्म के समय कम वजन:
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषक प्लेसेंटा तक पहुंचकर रक्त प्रवाह को बाधित करते हैं। इससे भ्रूण को पर्याप्त पोषण और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता, जो कम वजन वाले शिशु के जन्म की संभावना बढ़ा देता है।
मस्तिष्क विकास पर असर:
गर्भ में शिशु का दिमाग तेजी से विकसित होता है। यदि गर्भवती महिला अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्र में रहती है, तो प्रदूषण तंत्रिका तंत्र के विकास को प्रभावित कर सकता है, जिसका प्रभाव बच्चे की भविष्य की मानसिक क्षमता पर पड़ सकता है।
बच्चों में एलर्जी और अस्थमा:
कई वैज्ञानिक शोधों में पाया गया है कि गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण के संपर्क में रहने वाली महिलाओं के बच्चों में एलर्जी, अस्थमा और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता की संभावना काफी बढ़ जाती है।
गर्भवती महिलाएं प्रदूषण से कैसे बचें?
सुबह और शाम के समय बाहर निकलने से बचें, क्योंकि इन घंटों में प्रदूषण स्तर आमतौर पर सबसे अधिक होता है।
ट्रैफिक वाले इलाकों से दूरी रखें। यदि बाहर जाना जरूरी हो तो N-95 मास्क का उपयोग करें।
घर में वेंटिलेशन बेहतर करें और एयर-प्यूरीफाइंग पौधे लगाएं, ताकि प्राकृतिक साफ हवा का प्रवाह बना रहे।
अनावश्यक वाहन चलाने जैसी आदतों में कमी लाएं। इससे न केवल प्रदूषण घटेगा, बल्कि स्वयं के लिए भी पर्यावरण अधिक सुरक्षित बनेगा।
डॉ. का कहना हैं कि गर्भावस्था के दौरान साफ हवा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी पौष्टिक भोजन और नियमित स्वास्थ्य जांच। इसलिए प्रदूषण से बचाव की सावधानियां हर गर्भवती महिला को अपने स्वास्थ्य रूटीन में शामिल करनी चाहिए