क्यों खास है केले का पत्ता,
कहां-कहां होता है इस्तेमाल?
1 months ago
Written By: ANJALI
भारतीय संस्कृति में भोजन केवल पेट भरने का साधन नहीं बल्कि एक परंपरा और रीति-रिवाजों का हिस्सा भी है। अलग-अलग राज्यों में खाने-पीने के तौर-तरीकों में विविधता देखने को मिलती है। दक्षिण भारत में केले के पत्ते पर खाना खाना खास परंपरा मानी जाती है। शादियों, त्योहारों और विशेष अवसरों पर केले के पत्ते पर ही भोजन परोसा जाता है। यह केवल परंपरा भर नहीं है बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिहाज से भी लाभकारी है।
क्यों खास है केले का पत्ता?
केले के पत्ते में पॉलीफेनोल्स पाए जाते हैं, जो एक तरह के एंटीऑक्सीडेंट हैं। इसके अलावा इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण भी मौजूद होते हैं, जो बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करते हैं। यही कारण है कि इसे हेल्दी और हाइजेनिक विकल्प माना जाता है। साथ ही यह इको-फ्रेंडली भी है क्योंकि पत्ते को उपयोग के बाद आसानी से नष्ट किया जा सकता है।
कहां-कहां होता है इस्तेमाल?
भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में केले के पत्ते का इस्तेमाल भोजन पकाने और परोसने में किया जाता है।
दक्षिण भारत में ताजे केले के पत्ते पर खाना खाने की परंपरा है।
थाईलैंड और इंडोनेशिया में इसका उपयोग खाने को स्टीम करके पकाने के लिए किया जाता है।
लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में भी केले के पत्तों से भोजन को लपेटकर पकाने की परंपरा है।
क्या केले का पत्ता खाने का स्वाद बदलता है?
आमतौर पर केले के पत्ते का अपना कोई अलग फ्लेवर नहीं होता, लेकिन जब गर्म खाना इस पर रखा जाता है तो पत्ते से निकलने वाले नेचुरल ऑयल और वैक्स कोटिंग खाने को एक खास खुशबू और हल्का-सा फ्लेवर देते हैं। इससे भोजन का स्वाद और ताजगी दोनों बढ़ जाती हैं।
केले के पत्ते पर खाना खाने के फायदे
इसमें मौजूद पॉलीफेनोल्स, विटामिन A और C गर्म भोजन के संपर्क में आकर खाने में मिल जाते हैं, जिससे न्यूट्रिशन वैल्यू बढ़ जाती है।
एंटी-बैक्टीरियल गुण शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं।
यह इको-फ्रेंडली है और प्लास्टिक या थर्माकोल की प्लेटों का प्राकृतिक विकल्प है।
खाने का स्वाद और अरोमा और भी बेहतर हो जाता है।