कैंसर पर जीत की कहानी:
जानिए इलाज, हिम्मत और सही देखभाल से कैसे बढ़ाई जा सकती है जिंदगी की उम्र
1 months ago Written By: Aniket Prajapati
कैंसर का नाम सुनते ही दिल दहल जाता है। ये बीमारी इंसान को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ देती है। लंबा इलाज, दवाइयों के साइड इफेक्ट और थकान से मरीज की जीवनशक्ति कमजोर पड़ जाती है। लेकिन यह सच भी है कि कैंसर अंत नहीं है। क्रिकेटर युवराज सिंह, एक्ट्रेस सोनाली बेन्द्रे, मनीषा कोइराला और महिला चौधरी जैसे कई लोगों ने न सिर्फ इस बीमारी को हराया, बल्कि दोबारा जीवन को पूरे आत्मविश्वास और मुस्कान के साथ जिया। असल में, मजबूत इच्छाशक्ति, जल्दी पहचान, सही इलाज और हेल्दी लाइफस्टाइल से कैंसर को मात दी जा सकती है।
डॉक्टरों का कहना: कैंसर के बाद कितने साल जिया जा सकता है
डॉ. बताते हैं कि कैंसर के बाद जीवन की अवधि किसी एक सूत्र से नहीं मापी जा सकती। यह पूरी तरह निर्भर करती है – कैंसर के प्रकार, उसकी स्टेज, मरीज की उम्र, शरीर की स्थिति और इलाज की गुणवत्ता पर आमतौर पर डॉक्टर “फाइव-ईयर सर्वाइवल रेट” का जिक्र करते हैं, यानी मरीज के पांच साल तक जीवित रहने की संभावना। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पांच साल के बाद जीवन रुक जाता है, कई मरीज 10, 15 या उससे भी ज्यादा साल तक पूरी तरह स्वस्थ जीवन जीते हैं।
कौन-से कैंसर में ज्यादा सर्वाइवल रेट होती है?
अलग-अलग कैंसर में सर्वाइवल रेट में बड़ा अंतर होता है। टेस्टिकुलर कैंसर, थायरॉइड कैंसर और स्किन मेलानोमा के मरीजों में 5 साल की सर्वाइवल दर 90% से अधिक होती है। वहीं पैंक्रियास (अग्न्याशय), ब्रेन और लिवर कैंसर के मामलों में यह दर घटकर 10–15% रह जाती है। लेकिन अगर कैंसर का जल्दी पता चल जाए (Early Diagnosis) और सही इलाज मिल जाए, तो किसी भी कैंसर में जीवित रहने की संभावना कई गुना बढ़ सकती है।
कैंसर मरीज की जिंदगी ऐसे बढ़ाई जा सकती है
कैंसर से लड़ने में सिर्फ दवा नहीं, जीवनशैली और मनोबल भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।
बीमारी किस अंग या ऊतक में है, ये अहम है।
कैंसर का स्टेज (early या late) जितना जल्दी पकड़ा जाए, उतनी बेहतर संभावना होती है।
मरीज की उम्र, शारीरिक फिटनेस और मानसिक ताकत इलाज के असर को बढ़ाती है।
इलाज की क्वालिटी और उपलब्धता भी बड़ा फर्क डालती है।
उदाहरण के तौर पर, शुरुआती स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर मरीजों की 5 साल की सर्वाइवल दर 90% से अधिक होती है, जबकि लेट स्टेज में यह घट जाती है।
नतीजा: कैंसर के बाद जीवन खत्म नहीं, एक नई शुरुआत होती है
हर मरीज की कहानी अलग होती है। कोई जल्दी ठीक हो जाता है, तो किसी को लंबा संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन फर्क पड़ता है आपकी सोच, हिम्मत और इलाज की नियमितता से। कैंसर से डरें नहीं, इसका सामना करें। सही जानकारी, सही डॉक्टर और सकारात्मक सोच से कैंसर पर जीत पाना मुमकिन है।