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बचपन में बढ़ रहा है मायोपिया का खतरा, जानिए क्यों लग रहा है बच्चों को जल्दी चश्मा

4 days ago
Written By: Health Desk

आजकल कई बच्चों को छोटी उम्र में ही चश्मा लग जाता है, क्योंकि वे मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष से जूझ रहे हैं। यह समस्या तब होती है जब बच्चे की आईबॉल सामान्य से लंबी हो जाती है, जिससे पास की चीजें साफ दिखती हैं लेकिन दूर की वस्तुएं धुंधली नजर आने लगती हैं। पहले यह दिक्कत बहुत कम देखने को मिलती थी, लेकिन अब यह तेजी से बढ़ रही है और खासकर शहरी बच्चों में आम हो चुकी है।

मायोपिया के पीछे है जीन का असर
डॉक्टरों के अनुसार मायोपिया एक जेनेटिक बीमारी है जो माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर हो सकती है। अगर मां या पिता में से किसी एक को यह समस्या है तो बच्चे में इसके होने की संभावना दोगुनी बढ़ जाती है, और अगर दोनों मायोपिक हैं तो यह रिस्क और ज्यादा हो जाता है। रिसर्च बताती है कि हमारे जीन आंखों की वृद्धि को प्रभावित करते हैं और इसी कारण आईबॉल का आकार बढ़ सकता है, जिससे दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। हालांकि आज की दुनिया में मायोपिया केवल आनुवंशिक कारणों से नहीं, बल्कि हमारी बदलती लाइफस्टाइल से भी तेजी से फैल रहा है।

स्क्रीन टाइम और इनडोर लाइफस्टाइल बन रही बड़ी वजह
विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चों की आंखों पर आज सबसे ज्यादा दबाव मोबाइल, टैबलेट और लैपटॉप डाल रहे हैं। घंटों तक स्क्रीन पर गेम खेलना, ऑनलाइन क्लास करना या वीडियो देखना आंखों की मांसपेशियों को थका देता है। वहीं आउटडोर खेल और नेचुरल लाइट में समय बिताने से आंखें स्वस्थ रहती हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि अगर बच्चे रोजाना 90 से 120 मिनट तक प्राकृतिक धूप में रहें तो उनकी आंखों की असामान्य वृद्धि धीमी हो सकती है। लेकिन शहरों में सीमित जगह, एग्जाम प्रेशर और डिजिटल डिवाइस पर निर्भरता ने बच्चों को घरों में कैद कर दिया है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक दुनिया की आधी आबादी मायोपिक हो सकती है, जिसमें बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा होगी।

माता-पिता ऐसे बचा सकते हैं बच्चों की आंखें
डॉक्टरों का कहना है कि मायोपिया से बचाव जीन से नहीं बल्कि रोजमर्रा की आदतों से संभव है। माता-पिता बच्चों की आंखों की साल में एक बार जांच जरूर कराएं ताकि शुरुआती स्तर पर समस्या पकड़ी जा सके। बच्चों को रोजाना कम से कम एक से दो घंटे बाहर खेलने भेजें और मोबाइल, टीवी या लैपटॉप पर उनका समय सीमित रखें। 20-20-20 नियम अपनाना भी बहुत उपयोगी है, यानी हर 20 मिनट स्क्रीन देखने के बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखना चाहिए। इसके अलावा बच्चों के आहार में विटामिन ए, सी और ओमेगा-3 से भरपूर चीजें शामिल करें, क्योंकि ये पोषक तत्व आंखों की सेहत को मजबूत रखते हैं और मायोपिया के खतरे को कम करते हैं।

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