दिल्ली-NCR में जहरीली हवा से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ा: कैसे प्रदूषण खून गाढ़ा कर देता है,
डॉ. बताते हैं
2 days ago Written By: Aniket Prajapati
दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण का कहर बढ़ता जा रहा है और हर रोज़ एक्यूआई (AQI) खराब से और खराब होता जा रहा है। जहरीली हवा न सिर्फ सांसों को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि खून और दिमाग तक भी भारी असर डाल रही है। आर्टेमिस हॉस्पिटल के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. बताते हैं कि हवा में मौजूद पीएम2.5, पीएम10, नाइट्रोजन ऑक्साइड व अन्य प्रदूषक फेफड़ों से खून में पहुँचकर शरीर में सूजन (इन्फ्लेमेशन) शुरू कर देते हैं। इसके चलते खून गाढ़ा होता है, ब्लड-क्लॉटिंग बढ़ती है और आखिरकार ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।
प्रदूषण कैसे खून गाढ़ा करता है वायु में मौजूद सूक्ष्म कण साँस के रास्ते फेफड़ों तक पहुँचते हैं और वहां से सीधा खून में मिल जाते हैं। लगातार जहरीली हवा में सांस लेने से शरीर में सूजन बढ़ती है। इस सूजन के कारण खून की कोशिकाएँ और प्रोटीन आपस में चिपकने लगते हैं। इस तरह खून गाढ़ा हो जाता है और नसों के अंदर बहने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। गाढ़ा खून दिल और दिमाग पर अतिरिक्त दबाव डालता है।
प्लेटलेट्स ज्यादा सक्रिय होने से थक्के बनते हैं डॉ. बताते हैं कि प्रदूषण प्लेटलेट्स को अनावश्यक रूप से सक्रिय कर देता है। सामान्यतः प्लेटलेट्स चोट लगने पर क्लॉट बनाते हैं, लेकिन प्रदूषक पदार्थों की वजह से ये बिना जरूरत ही क्लॉट बनाने लगते हैं। छोटे-छोटे थक्के अगर दिमाग तक जाने वाली बारीक नसों में अटक जाएं तो रक्त प्रवाह रुक सकता है। यही इशेमिक स्ट्रोक का मुख्य कारण बनता है।
नसें कमजोर और संकरी हो जाती हैं प्रदूषण से नसों की दीवारें प्रभावित होती हैं; वे कमजोर और संकरी हो जाती हैं। ऐसे में गाढ़ा खून और थक्के आसानी से रक्त वाहिका में बाधा बनाते हैं। बुजुर्गों और जिन लोगों को हाई-ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी या डायबिटीज़ है, उनके लिए यह खतरा और भी अधिक रहता है।