ब्रेन कैंसर के शुरुआती लक्षण हल्के लेकिन खतरनाक,
सिरदर्द से पहले ही शरीर देता है संकेत
1 months ago Written By: Aniket prajapati
ब्रेन कैंसर के शुरुआती लक्षण अक्सर इतने सामान्य होते हैं कि लोग उन्हें थकान, तनाव या साधारण बीमारी समझकर अनदेखा कर देते हैं। कई बार मरीज सिरदर्द शुरू होने से पहले ही शरीर द्वारा दिए जा रहे संकेतों को पहचान नहीं पाते। विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रेन कैंसर की पहचान जल्दी हो जाए तो इलाज के बेहतर परिणाम मिलते हैं। इसलिए जरूरी है कि इन शुरुआती लक्षणों को समय रहते समझा जाए। नीचे ब्रेन कैंसर के छह ऐसे शुरुआती संकेत बताए जा रहे हैं, जिन पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत होती है।
1. लगातार और असामान्य सिरदर्द ब्रेन ट्यूमर से होने वाला सिरदर्द साधारण सिरदर्द जैसा नहीं होता।
यह लगातार बना रहता है।
सुबह उठने पर सबसे ज्यादा दर्द होता है।
कई बार यह नींद से जगा देता है।
आम दर्दनाशक दवाओं से भी राहत नहीं मिलती।
अगर सिरदर्द इन लक्षणों के साथ हो रहा है, तो यह शुरुआती चेतावनी हो सकती है।
2. मतली और उल्टी की समस्या सिरदर्द के साथ लगातार जी मिचलाना या उल्टी होना भी एक महत्वपूर्ण संकेत है। ट्यूमर दिमाग के उस हिस्से पर दबाव डालता है जो इन गतिविधियों को नियंत्रित करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, सिरदर्द, मतली और आंखों की परेशानी एक साथ दिखाई दें तो तुरंत जांच करवाना जरूरी है।
3. याददाश्त में कमी और बिहेवियर में बदलाव ब्रेन ट्यूमर सोचने और भावनाओं वाले हिस्से पर असर डाल सकता है। इससे भूलने की आदत बढ़ना,कन्फ्यूजन,अचानक गुस्सा या चिड़चिड़ापन जैसे बदलाव दिखाई देते हैं। अक्सर लोग इसे तनाव या उम्र बढ़ने की वजह मान लेते हैं, जबकि यह ट्यूमर का शुरुआती लक्षण हो सकता है।
4. मांसपेशियों में कमजोरी और दौरे पड़ना वयस्कों में अचानक पहली बार दौरा पड़ना गंभीर संकेत है। ट्यूमर दिमाग के इलेक्ट्रिकल सिग्नल को प्रभावित करता है, जिससे दौरे शुरू हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत मेडिकल सलाह जरूरी है।
5. अत्यधिक थकान कैंसर से जुड़ी थकान सामान्य थकान जैसी नहीं होती।
यह आराम करने पर भी ठीक नहीं होती
सामान्य कामकाज मुश्किल हो जाता है
जागे रहना भी कठिन लगता है
ट्यूमर के कारण शरीर अपना संतुलन और कोऑर्डिनेशन भी खोने लगता है।
6. संतुलन बिगड़ना और चलने में दिक्कत ब्रेन ट्यूमर शरीर के कोऑर्डिनेशन सिस्टम पर असर डाल सकता है। इससे चलते समय लड़खड़ाना, चक्कर आना और बैलेंस बिगड़ना जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
समय पर पहचान क्यों जरूरी? स्पेशलिस्ट बताते हैं कि अगर इन लक्षणों को शुरुआती स्टेज में पहचान कर जांच करवा ली जाए, तो इलाज आसान होता है और रिकवरी की संभावना भी बढ़ जाती है। इसलिए ऐसे लक्षण लगातार बने रहें तो उन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए।