हार्मोनल असंतुलन से क्यों होती है उल्टी,
जानिए विशेषज्ञ की राय और बचाव के उपाय
1 months ago
Written By: Aniket Prajapati
हमारे शरीर में हार्मोन ऐसे रासायनिक संदेशवाहक हैं जो मेटाबॉलिज्म, मूड, नींद, पाचन और प्रजनन जैसे कई शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करते हैं। लेकिन जब इन हार्मोनों का संतुलन बिगड़ता है, तो शरीर कई तरह से प्रतिक्रिया करता है—कभी थकान, कभी चिड़चिड़ापन, और कई बार उल्टी या मतली (Nausea & Vomiting) के रूप में भी। एलांटिस हेल्थकेयर, दिल्ली के डॉ. मनन गुप्ता (चेयरमैन एवं हेड, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग) बताते हैं कि “हार्मोनल असंतुलन सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से उल्टी की स्थिति पैदा कर सकता है। खासकर महिलाओं में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है — जैसे मासिक धर्म, गर्भावस्था, थायरॉयड की गड़बड़ी या रजोनिवृत्ति (Menopause) के दौरान।”
गर्भावस्था के दौरान उल्टी और हार्मोन का संबंध
गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में उल्टी या मिचली की समस्या आम है, जिसे लोग मॉर्निंग सिकनेस कहते हैं। डॉ. गुप्ता बताते हैं कि “इस दौरान एचसीजी (hCG) और एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर तेजी से बढ़ता है, जिससे शरीर को एडजस्ट करने में समय लगता है और यही मतली का कारण बनता है।”
अधिकांश महिलाओं में यह सामान्य होता है, लेकिन यदि उल्टी बहुत ज्यादा हो या लगातार बनी रहे, तो यह हाइपरएमेसिस ग्रेविडेरम (Hyperemesis Gravidarum) नामक स्थिति हो सकती है, जिसमें डॉक्टर की सलाह जरूरी होती है।
थायरॉयड हार्मोन और उल्टी की परेशानी
थायरॉयड ग्रंथि से निकलने वाले T3 और T4 हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हैं। हाइपरथायरॉयडिज़्म (Hyperthyroidism) यानी थायरॉयड का अधिक सक्रिय होना — इसमें मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है, जिससे पसीना आना, भूख में कमी और उल्टी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। हाइपोथायरॉयडिज़्म (Hypothyroidism) यानी थायरॉयड का धीमा होना — इसमें पाचन क्रिया प्रभावित होती है और मतली या पेट में भारीपन महसूस हो सकता है। डॉ.कहते हैं, “थायरॉयड से जुड़ी समस्याएं शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित करती हैं, इसलिए इन लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।”
पीरियड्स के दौरान उल्टी क्यों होती है?
कई महिलाएं मासिक धर्म से पहले या दौरान मतली और उल्टी की शिकायत करती हैं। इसका मुख्य कारण होता है प्रोस्टाग्लैंडिन और एस्ट्रोजन हार्मोन का उतार-चढ़ाव। डॉ बताते हैं, “पीरियड्स के दौरान शरीर में बनने वाला प्रोस्टाग्लैंडिन गर्भाशय की मांसपेशियों को संकुचित करता है, जिससे दर्द और कई बार उल्टी या मतली जैसी समस्या भी होती है।” यह स्थिति अस्थायी होती है, लेकिन अगर हर महीने ज्यादा परेशानी हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोनल बदलाव और मतली
रजोनिवृत्ति (Menopause) के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर गिरने लगता है, जिससे शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। इस दौरान गर्मी लगना (Hot Flashes), मूड स्विंग्स, नींद की कमी और मतली या उल्टी जैसी परेशानियां आम होती हैं। डॉ. बताते हैं कि “इस समय शरीर नए हार्मोनल स्तर के साथ सामंजस्य बनाने की कोशिश करता है, इसलिए खानपान और लाइफस्टाइल पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।”
कब करें डॉक्टर से संपर्क?
अगर उल्टी बार-बार हो रही है, भूख नहीं लग रही या लगातार कमजोरी महसूस हो रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें। डॉ. गुप्ता सलाह देते हैं कि “अगर उल्टी किसी खास समय — जैसे पीरियड्स, गर्भावस्था या किसी हार्मोनल बदलाव के दौरान बार-बार होती है, तो ब्लड टेस्ट या हार्मोन लेवल टेस्ट कराना चाहिए ताकि असली कारण का पता चल सके।”
बचाव और देखभाल के उपाय
- संतुलित आहार लें, जिसमें प्रोटीन, फाइबर और आयरन भरपूर मात्रा में हों।
- दिनभर पर्याप्त पानी और तरल पदार्थ पिएं।
- नियमित योग और हल्का व्यायाम हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
- तनाव कम करें, पर्याप्त नींद लें और शरीर को आराम दें।
- कॉफी, जंक फूड और बहुत मसालेदार चीजों से परहेज करें।