हार्ट अटैक से बचाव: कैसे IVUS जांच देती है,
हृदय ब्लॉकेज की सही जानकारी
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
दिल की बीमारियां आज की तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं में शामिल हैं। हार्ट ब्लॉकेज एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय में विद्युत संकेत ठीक से नहीं पहुँच पाते और धड़कन धीमी या अनियमित हो जाती है। 68% हार्ट अटैक इसी ब्लॉकेज के कारण होते हैं। अगर ब्लॉकेज 30-40% के बीच हो तो मरीजों में हर साल हार्ट अटैक का जोखिम लगभग 15% बढ़ जाता है। सिद्धि हॉस्पिटल के चेयरमैन और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अनुराग मेहरोत्रा बताते हैं कि धमनियों की सही और गहरी जांच बेहद जरूरी है।
इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड (IUVS) क्यों फायदेमंद है डॉ. अनुराग मेहरोत्रा के अनुसार, आमतौर पर हृदय की जांच के लिए एंजियोग्राफी की जाती है, लेकिन यह केवल धमनियों की छाया दिखाती है। वहीं, इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड धमनियों के भीतर की वास्तविक संरचना, प्लाक की मात्रा और ब्लॉकेज की गंभीरता को स्पष्ट रूप से दिखाता है। यह तकनीक हार्ट ब्लॉकेज की सही पहचान और उपचार का निर्णय लेने में मदद करती है।
इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड कब किया जाता है इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड ज़्यादातर एंजियोप्लास्टी के दौरान किया जाता है। इसमें एक पतली कैथेटर ट्यूब धमनी के अंदर डाली जाती है, जिसमें अल्ट्रासाउंड सेंसर लगा होता है। सेंसर धमनी के भीतर घूमते हुए लाइव तस्वीरें दिखाता है। इससे डॉक्टर समझ पाते हैं कि ब्लॉकेज कितना फैला है, प्लाक नरम है या कठोर, और स्टेंट लगाने के लिए कौन सा साइज और लंबाई सही रहेगा। यह तकनीक पहले से लगे स्टेंट की स्थिति का भी मूल्यांकन करती है।
हार्ट की अन्य जांचें हार्ट ब्लॉकेज और हृदय की समस्याओं का पता लगाने के लिए एंजियोग्राफी, ट्रेडमिल टेस्ट, होल्टर मॉनिटरिंग और ECG जैसी जांचें भी की जाती हैं। इनसे धड़कन, ब्लड फ्लो और दिल की कार्यप्रणाली की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। केवल ब्लॉकेज का प्रतिशत जानना पर्याप्त नहीं होता, यह समझना जरूरी है कि प्लाक नरम है या कठोर, सतह चिकनी है या फटी हुई। अस्थिर प्लाक अक्सर हार्ट अटैक का कारण बनते हैं। इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड जैसी आधुनिक तकनीक से मरीजों को सही और सुरक्षित इलाज मिलना संभव हो पाया है।