हार्ट अटैक पर घबराने की ज़रूरत नहीं,
डॉक्टर अशोक सेठ से सीखे सीपीआर के आसान और असरदार कदम
2 days ago Written By: Aniket Prajapati
ऑफिस, सफर या पार्टी में यदि किसी को अचानक हार्ट अटैक आ जाए तो घबराना नहीं चाहिए। शुरुआती कुछ मिनटों में सही कदम उठाने से आप मरीज की जान बचा सकते हैं। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट के चेयरमैन डॉ. बताते हैं कि मेडिकल मदद आने तक कुछ सरल लेकिन सटीक कार्य करके रोगी को सुरक्षित रखा जा सकता है। सबसे पहले सांस की जाँच, फिर मरीज को समतल और हार्ड फ्लोर पर लिटाना, उसके बाद सही तरीके से CPR देना और अगर उपलब्ध हो तो डिफिब्रिलेटर (AED) का इस्तेमाल करना बेहद महत्वपूर्ण है। अपने फोन में एक बार CPR की वीडियो देख लेना अच्छा रहेगा।
पहले कदम — सांस जाँच और मदद बुलाएँ यदि किसी को गिरा हुआ या बेहोश पाया है तो 15 सेकंड तक उसकी सांस देखें। अगर सांस नहीं चल रही है तो तुरंत मेडिकल हेल्प और एंबुलेंस बुलवाने के निर्देश दें। समय पर प्रोफेशनल मदद बुलाना प्राथमिक काम है।
मरीज को समतल सतह पर लिटाएँ हार्ट अटैक के बाद मरीज को कुर्सी पर ही न रहने दें। उसे तुरंत समतल और कठोर फर्श पर सीधा लिटा दें। जमीन पर लेटा होना CPR देने के लिए सबसे अच्छा स्थान है।
CPR कैसे दें — हाथों की पोजिशन और दबाव CPR के लिए एक हाथ खोलें और दूसरे हाथ की उँगलियाँ पहले वाले हाथ में डालकर मजबूत पकड़ बनाएं। हथेली को छाती के बीच और दिल के पास (लेफ्ट साइड) रखें। इतनी ताकत से दबाएँ कि छाती लगभग 2 इंच अंदर जाए और फिर ऊपर आए। इसे 100–120 बार प्रति मिनट की रफ्तार से दोहराएँ — यानी 1 सेकंड में लगभग दो बार। रिब्स टूटने का डर हो सकता है, पर समय रहते दबाव डालने से जीवन बच सकता है।
बेहतर तकनीक — सीधे हाथ और सही बॉडी पोजिशन CPR देते वक्त हाथ सीधे रखें, कोहनी न मुड़े। आपके कंधे मरीज के सीने के ऊपर होने चाहिए ताकि दबाव प्रभावी रहे। यह कार्य तब तक जारी रखें जब तक मेडिकल सहायता न पहुँच जाए। लगातार 8–10 मिनट तक CPR देने से शरीर में सर्कुलेशन चलता रहता है।
डिफिब्रिलेटर (AED) का उपयोग आजकल एयरपोर्ट, मॉल और कई ऑफिसों में AED उपलब्ध होते हैं। इन्हें चलाना कठिन नहीं — मशीन पर निर्देश लिखे होते हैं। यदि उपलब्ध हो तो निर्देश पढ़कर शॉक देकर मरीज की धड़कन सामान्य करने की कोशिश करें।