लैंसेट रिपोर्ट का खुलासा: 2022 में वायु प्रदूषण से भारत में 17 लाख मौतें,
कोविड से भी ज्यादा खतरनाक साबित हुआ जहर
1 months ago
Written By: Aniket Prajapati
वायु प्रदूषण अब केवल दिल्ली या मुंबई तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह पूरे भारत की हवा में घुल चुका है। लैंसेट की हालिया रिपोर्ट ‘काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज’ के अनुसार, वर्ष 2022 में वायु प्रदूषण के कारण देश में 17 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हुई। यह संख्या 2010 की तुलना में 38% अधिक है। रिपोर्ट आने के बाद यह साफ हो गया है कि हवा में फैला यह ज़हर अब हर भारतीय की सांसों के लिए खतरा बन चुका है।
वायु प्रदूषण से हुईं कोविड से भी अधिक मौतें
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 में वायु प्रदूषण के कारण हुई मौतों की संख्या कोविड-19 से हुई मौतों से भी ज़्यादा थी। बढ़ते PM 2.5 स्तर ने लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाला है। इन 17 लाख मौतों में से करीब 7.52 लाख मौतें केवल जीवाश्म ईंधनों जैसे कोयला, पेट्रोल और गैस के इस्तेमाल से हुईं। इसमें अकेले कोयले से 3.94 लाख और पेट्रोल से 2.69 लाख लोगों की मौत दर्ज की गई।
दिल्ली में हर सात में से एक मौत प्रदूषण से जुड़ी
इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के अनुसार, दिल्ली की हवा सबसे ज़हरीली साबित हुई है। राजधानी में हर सात में से एक मौत वायु प्रदूषण से जुड़ी है, यानी लगभग 15% लोगों की जान सीधे इस वजह से जा रही है। यह ज़हरीली हवा दिल की बीमारियों, स्ट्रोक, फेफड़ों के कैंसर और श्वसन रोगों का बड़ा कारण बन रही है। साथ ही इसका असर गर्भवती महिलाओं और अजन्मे बच्चों पर भी देखने को मिल रहा है।
प्रदूषण से देश की अर्थव्यवस्था पर भी भारी असर
रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदूषण का असर केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की अर्थव्यवस्था को भी गहरा नुकसान पहुंचा रहा है। वर्ष 2022 में प्रदूषण के चलते देश को लगभग 339.4 अरब डॉलर (करीब 30 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का करीब 9.5% है।
तत्काल कदम उठाने की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अभी से ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में यह संकट और भयावह रूप ले सकता है। खासतौर पर त्योहारों के बाद दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है। ऐसे में स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल और कड़े पर्यावरणीय कानूनों को लागू करना अब वक्त की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है।