रसोईघर में वास्तु नियमों का पालन:
सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए जरूरी
1 months ago Written By: ANIKET PRAJAPATI
रसोई घर सिर्फ खाना पकाने की जगह नहीं, बल्कि घर की ऊर्जा और खुशहाली का केंद्र भी होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर रसोई घर सही दिशा और नियमों के अनुसार बनाया जाए, तो घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार के लोगों की सेहत अच्छी रहती है। वहीं, रसोई में वास्तु दोष होने से नकारात्मक ऊर्जा फैलती है और पारिवारिक कलह, स्वास्थ्य व आर्थिक परेशानियां बढ़ सकती हैं। आइए जानते हैं रसोईघर के वास्तु से जुड़े जरूरी नियम, जिन्हें अपनाकर घर में पॉजिटिविटी और बरकत बनाए रखी जा सकती है।
किचन की सही दिशा वास्तु शास्त्र के अनुसार, किचन हमेशा आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए। यह दिशा अग्नि देवता की मानी जाती है। इस दिशा में रसोई होने से घर में ऊर्जा बनी रहती है, खाना पकाने में सकारात्मकता आती है और परिवार को अच्छी सेहत व धन की प्राप्ति होती है।
किचन के लिए अशुभ स्थान किचन को कभी भी बाथरूम या टॉयलेट के पास नहीं बनाना चाहिए। यह बड़ा वास्तु दोष माना जाता है और घर में नकारात्मक ऊर्जा फैलाता है। इसी तरह, सीढ़ियों के नीचे किचन बनाना भी अशुभ होता है, क्योंकि इससे पारिवारिक कलह और आर्थिक नुकसान की संभावना रहती है।
गैस चूल्हे की दिशा किचन में गैस चूल्हा हमेशा आग्नेय कोण में होना चाहिए। खाना बनाते समय आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। अगर रसोई दक्षिण-पूर्व में नहीं है, तो भी गैस चूल्हे को इसी दिशा में रखकर वास्तु संतुलन बनाए रखा जा सकता है।
सिंक और पानी की जगह सिंक को किचन में उत्तर दिशा में रखना शुभ होता है। ध्यान रखें कि सिंक और गैस चूल्हा एक ही प्लेटफॉर्म पर या पास-पास न हों, क्योंकि अग्नि और जल विपरीत तत्व हैं। पीने का पानी हमेशा उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में रखें और चूल्हे के पास न रखें।
मिक्सी, माइक्रोवेव और अन्य उपकरण मिक्सी, माइक्रोवेव, टोस्टर या ओवन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने चाहिए। यह घर में ऊर्जा को संतुलित रखने और कामों में सफलता दिलाने में मदद करता है। इन वास्तु नियमों का पालन करने से रसोईघर केवल खाना पकाने की जगह नहीं, बल्कि घर में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि लाने का केंद्र बन जाता है।