भारत में बढ़ता ओरल कैंसर,
जागरूकता और शुरुआती पहचान से बचाई जा सकती हैं लाखों ज़िंदगियां
1 months ago
Written By: ANJALI
भारत में ओरल कैंसर (मुंह का कैंसर) एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। पूरी दुनिया में जितने भी ओरल कैंसर के मामले दर्ज होते हैं, उनमें से लगभग एक-तिहाई भारत से जुड़े होते हैं। हमारे देश में यह कैंसर सभी प्रकार के कैंसर का करीब 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि पश्चिमी देशों में इसकी दर सिर्फ 4 से 5 प्रतिशत है। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि भारत में 60 से 70 प्रतिशत मरीजों को इस बीमारी का पता तीसरे या चौथे स्टेज में ही चल पाता है, जब इलाज करना बेहद मुश्किल हो जाता है।
Oral Cancer के ये है डरावने आंकड़े
77,000 नए मरीज हर साल भारत में ओरल कैंसर से प्रभावित होते हैं। इनमें से 52,000 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। सिर्फ 2018 में ही 1.19 लाख नए केस सामने आए और 72,000 मौतें दर्ज हुईं भारत में कैंसर से होने वाली कुल मौतों का लगभग 9% हिस्सा केवल ओरल कैंसर के कारण है।
देर से क्यों होती है पहचान?
तंबाकू और सुपारी का सेवन – गुटखा, पान-मसाला, सुपारी और बिना धुएं वाला तंबाकू इसके प्रमुख कारण हैं।
जागरूकता की कमी – लोग शुरुआती लक्षणों जैसे जीभ या गले में दर्द, सफेद/लाल धब्बे, न भरने वाले छाले को नजरअंदाज कर देते हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं में देरी – जांच और निदान की प्रक्रिया लंबी होने के कारण कैंसर देर से पकड़ा जाता है।
कम उम्र में शुरुआत – अब युवाओं में भी ओरल कैंसर तेजी से बढ़ रहा है।
स्क्रीनिंग की कमी – प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नियमित जांच और प्रशिक्षित डॉक्टरों का अभाव।
एक्सपर्ट्स की राय
डॉक्टरों का मानना है कि –शुरुआती अवस्था में ओरल कैंसर का पता चल जाए तो 5 साल तक जीवित रहने की संभावना 90% तक होती है। लेकिन देर से पहचान होने पर यह संभावना घटकर सिर्फ 20% रह जाती है। महीने में एक बार शीशे के सामने खुद की जांच करना और असामान्य लक्षणों को नज़रअंदाज न करना बेहद ज़रूरी है।
समाधान क्या हो सकते हैं?
गांव-गांव और शहर-शहर तक जागरूकता अभियान चलाना। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर ओरल कैंसर स्क्रीनिंग को अनिवार्य करना। तंबाकू और सुपारी पर कड़ा नियंत्रण और नशा मुक्ति सेवाएं उपलब्ध कराना।नेशनल कैंसर रजिस्ट्री को मजबूत बनाना ताकि समय रहते डेटा उपलब्ध हो।कम लागत वाली नई तकनीक और AI आधारित समाधान से शुरुआती पहचान को आसान बनाना। ओरल कैंसर रोकने योग्य और इलाज योग्य बीमारी है, बशर्ते समय पर इसकी पहचान हो सके। तंबाकू से दूरी, नियमित जांच और सही इलाज से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है। अगर हम अभी से जागरूक हों, तो भारत में देर से पकड़े जाने वाले 70% मामलों को शुरुआती स्टेज में ही पहचानकर हजारों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।