तनाव बढ़ा रहा है आपकी उम्र,
याददाश्त और दिल पर डाल रहा गहरा असर
12 days ago Written By: अनिकेत प्रजापति
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव हर किसी का साथी बन गया है। ऑफिस का प्रेशर, रिश्तों में उलझनें, आर्थिक चिंता या सोशल मीडिया पर ‘परफेक्ट’ दिखने की होड़ हर तरफ से दबाव ही दबाव। यही तनाव धीरे-धीरे हमारे शरीर और दिमाग दोनों पर भारी पड़ने लगता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लगातार तनाव सिर्फ मानसिक नहीं, बल्कि शारीरिक बीमारियों की जड़ है, लंबे वक्त तक बने रहने वाला तनाव हमारे डीएनए को भी नुकसान पहुंचा सकता है। यह हमारे क्रोमोसोम की सुरक्षा करने वाले टेलोमेयर को छोटा कर देता है, जिससे शरीर जल्दी बूढ़ा दिखने लगता है। यही वजह है कि तनाव में रहने वाले लोगों में दिल की बीमारी, कैंसर और बुढ़ापे के लक्षण जल्दी नजर आने लगते हैं।
याददाश्त पर भी हमला करता है तनाव तनाव का असर सिर्फ शरीर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिमाग की कार्यप्रणाली को भी बदल देता है। जब हम तनाव में होते हैं, तो शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। यह हार्मोन मस्तिष्क के उस हिस्से हिप्पोकैम्पस को नुकसान पहुंचाता है, जो याददाश्त को संभालता है। नतीजा, कई लोगों को अस्थायी भूलने की बीमारी (ट्रांसिएंट एम्नेशिया) का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, लंबे तनाव से बालों का रंग भी उड़ने लगता है। मेलेनिन बनाने वाली कोशिकाएं कमजोर पड़ जाती हैं, जिससे बाल समय से पहले सफेद हो जाते हैं। इसे मेडिकल साइंस में “मैरी एंटोनेट सिंड्रोम” कहा जाता है, यानी तनाव से झटके में सफेद होते बाल।
दिल और शरीर दोनों को झकझोर देता है स्ट्रेस तनाव का असर दिल पर भी पड़ता है। अत्यधिक भावनात्मक झटका या स्ट्रेस “ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम” पैदा कर सकता है, जिसमें दिल का बायां हिस्सा गुब्बारे की तरह फूल जाता है। कई बार यह स्थिति अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन गंभीर मामलों में जानलेवा साबित हो सकती है। कई बार तनाव बिना किसी संक्रमण के बुखार भी ला सकता है, जिसे स्ट्रेस फीवर कहा जाता है। इसमें शरीर का तापमान 99 से 104 डिग्री तक पहुंच सकता है। साथ ही यह हमारी टेस्ट बड्स को भी प्रभावित करता है। ऐसे में खाना बेस्वाद, कड़वा या धातु जैसा लगने लगता है।
नींद पर भी असर, स्लीप पैरालिसिस का खतरा तनाव आंतों के माइक्रोबायोम पर भी असर डालता है। अच्छे बैक्टीरिया की कमी से पाचन बिगड़ता है, जिससे न सिर्फ पेट की दिक्कतें होती हैं बल्कि मानसिक स्थिति भी अस्थिर हो जाती है। कई लोग ऐसे में स्लीप पैरालिसिस के शिकार हो जाते हैं यानी नींद में जागने पर शरीर हिल नहीं पाता और अजीब दृश्य दिखने लगते हैं। इतना ही नहीं, लंबे समय तक तनाव मस्तिष्क में फॉल्स मेमोरी सिंड्रोम भी पैदा कर सकता है, जिसमें व्यक्ति ऐसी बातें सच मानने लगता है जो असल में कभी घटी ही नहीं।