विटामिन D की कमी शरीर को अंदर से कमजोर करने वाली अदृश्य समस्या,
जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय
2 months ago Written By: Aniket Prajapati
विटामिन D को अक्सर "सनशाइन विटामिन" कहा जाता है, क्योंकि इसका सबसे बड़ा स्रोत सूरज की रोशनी है। यह शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी पोषक तत्व है। लेकिन चिंता की बात यह है कि भारत में लगभग 70% लोग इसकी कमी से जूझ रहे हैं। एक हालिया सर्वे में यह बात सामने आई है कि शहरी इलाकों में रहने वाले लोग, जो ज़्यादातर समय घर या ऑफिस के अंदर बिताते हैं, उनमें विटामिन D की कमी और भी ज़्यादा पाई जाती है। यह कमी धीरे-धीरे शरीर की कई महत्वपूर्ण क्रियाओं पर असर डालती है।
हड्डियों को कमजोर करता है विटामिन D की कमी विटामिन D का सबसे बड़ा काम शरीर में कैल्शियम को अवशोषित (absorb) करने में मदद करना है। जब शरीर में इसका स्तर कम हो जाता है, तो हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। बच्चों में यह स्थिति “रिकेट्स” का रूप ले सकती है, जिसमें हड्डियां नरम और टेढ़ी हो जाती हैं। वहीं, वयस्कों में ऑस्टियोपोरोसिस और बार-बार हड्डियों के फ्रैक्चर जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। यही वजह है कि डॉक्टर बढ़ती उम्र के साथ नियमित रूप से धूप लेने और कैल्शियम सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं।
कमज़ोर इम्यून सिस्टम बनाता है बीमार विटामिन D शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है। इसकी कमी से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे शरीर को सर्दी, खांसी, फ्लू और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां जल्दी पकड़ लेती हैं। कई रिसर्च में यह पाया गया है कि जिन लोगों के शरीर में विटामिन D का स्तर सामान्य होता है, उन्हें श्वसन संक्रमण (Respiratory Infection) का खतरा कम होता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है विटामिन D विटामिन D सिर्फ शरीर ही नहीं, दिमाग के लिए भी जरूरी है। यह मस्तिष्क के उन हिस्सों में पाया जाता है जो मूड और सोचने-समझने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि जिन लोगों के शरीर में विटामिन D का स्तर कम होता है, उनमें डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी समस्याओं का खतरा ज्यादा होता है। एक अध्ययन के मुताबिक, इसकी कमी मानसिक तनाव को बढ़ा सकती है और नींद पर भी असर डालती है।
त्वचा पर भी पड़ता है असर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विटामिन D स्किन सेल्स की ग्रोथ और रिपेयर में मदद करता है। इसकी कमी से त्वचा में रुखापन, एक्जिमा, सोरायसिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, घाव भरने की गति भी धीमी हो जाती है। इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि त्वचा की सेहत के लिए विटामिन D के स्तर को संतुलित रखना बेहद जरूरी है।
विटामिन D को कैसे बढ़ाएं? विटामिन D का सबसे नेचुरल और असरदार स्रोत है सूरज की रोशनी। रोजाना सुबह 8 से 10 बजे के बीच 15–20 मिनट धूप में रहना शरीर को इसका पर्याप्त डोज़ दे सकता है। इसके अलावा, फैटी फिश (सैल्मन, मैकेरल, सार्डिन), अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड दूध और जूस, और विटामिन D सप्लीमेंट्स से भी इसे बढ़ाया जा सकता है। अगर आपको अक्सर थकान, जोड़ों में दर्द या मूड स्विंग महसूस होते हैं, तो डॉक्टर से जांच जरूर करवाएं। विटामिन D का बैलेंस शरीर को सिर्फ स्वस्थ नहीं रखता, बल्कि आपकी उम्र को भी लंबा और ऊर्जावान बनाता है