अक्षय नवमी 2025: आंवला नवमी पर करें ये खास पूजा और उपाय,
पाएं अक्षय फल
2 months ago Written By: Aniket Prajapati
आज कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, शुक्रवार का दिन है। नवमी तिथि आज सुबह 10:04 बजे तक रहेगी। इस दिन अक्षय नवमी (Akshaya Navami) का व्रत किया जाता है। यह व्रत दीपावली के ठीक 10 दिन बाद मनाया जाता है और शास्त्रों में इसका विशेष महत्व बताया गया है। पुराणों में इस दिन से द्वापर युग की शुरुआत मानी जाती है। अक्षय का अर्थ है – जिसका क्षरण न हो। मान्यता है कि इस दिन किए गए कार्यों का अक्षय फल मिलता है। इसे आंवला नवमी, इच्छा नवमी, कूष्मांड नवमी, आरोग्य नवमी और धातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है।
आंवला नवमी पर क्या करना चाहिए
भगवान विष्णु और आंवले की पूजा इस दिन सबसे पहले भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की विधि-पूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए। आंवला नवमी का सबसे बड़ा महत्व आंवले की विशेष पूजा में माना गया है।
स्नान और तर्पण का महत्व अक्षय नवमी पर स्नान-दान और तर्पण का भी विशेष महत्व है। यदि संभव हो तो किसी तीर्थ स्थल पर जाकर पवित्र जल से स्नान करें। घर पर भी अपने नहाने के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल डालकर स्नान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है।
आंवले के पेड़ के नीचे भोजन इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन पकाना और खाना बहुत शुभ माना गया है। यदि खाना पकाना संभव न हो तो कम से कम पेड़ के नीचे बैठकर भोजन अवश्य करें। इससे जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है।
व्रत रखने का महत्व अक्षय नवमी का व्रत रखने से सुख-शांति, सद्भाव और वंश वृद्धि का फल मिलता है। यह व्रत करना धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी माना गया है।
कूष्मांड नवमी का महत्व शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि अक्षय नवमी के दिन श्री विष्णु ने कूष्माण्ड नामक दैत्य का संहार किया था। इसके बाद दैत्य के रोम से कूष्माण्ड की बेल निकली, जिसे आम भाषा में पेठा या कद्दू कहा जाता है। इसलिए इसे कूष्मांड नवमी भी कहा जाता है। इस दिन कूष्माण्ड का दान करना और पुष्प, गंध, अक्षत से पूजा करना शुभ फलदायी होता है।
दान और परिक्रमा अक्षय नवमी के दिन आंवले का दान भी अत्यंत शुभ होता है। साथ ही मथुरा प्रदक्षिणा, यानी मथुरा की परिक्रमा भी इसी दिन से शुरू होती है। इस दिन किया गया दान और पूजा जीवन में अक्षय लाभ और समृद्धि प्रदान करती है।