भाई दूज 2025: 22 या 23 अक्टूबर में किस दिन मनेगा पर्व,
जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व
2 days ago Written By: Aniket Prajapati
दीपावली के बाद मनाया जाने वाला भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर टीका करती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इसे भाऊ बीज, भात्र द्वितीया और भतरु द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। हर साल की तरह इस बार भी लोग इस उलझन में हैं कि भाई दूज 22 अक्टूबर को मनाएं या 23 अक्टूबर को।
भाई दूज कब है 22 या 23 अक्टूबर 2025 को?
पंचांग के अनुसार, इस साल भाई दूज 23 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) को मनाई जाएगी। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि इस दिन पड़ रही है। भाई को टीका करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:19 बजे से 03:35 बजे तक रहेगा। इस समय में किया गया तिलक सबसे शुभ और फलदायी माना गया है।
भाई दूज कैसे मनाई जाती है
भाई दूज के दिन सुबह-सुबह बहनें स्नान करके व्रत का संकल्प लेती हैं। इसके बाद भाई को घर बुलाकर पूजा की थाली सजाती हैं, जिसमें रोली, अक्षत, दीपक, मिठाई और नारियल रखा जाता है। फिर बहनें अपने भाई के माथे पर घी या चंदन का टीका लगाकर आरती उतारती हैं, कलावा बांधती हैं और उन्हें मिठाई खिलाती हैं। बदले में भाई अपनी बहन को उपहार या नकद भेंट देता है और उसकी सुरक्षा का वचन देता है। इस दिन भाई और बहन दोनों उपवास रखते हैं और एक-दूसरे की खुशियों के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
भाई दूज का धार्मिक महत्व और कथा
भाई दूज का संबंध यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ा है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार यमराज अपनी बहन यमुना के घर मिलने पहुंचे। बहन ने प्रेमपूर्वक उनका स्वागत किया, आरती उतारी और अपने हाथों से स्वादिष्ट भोजन खिलाया। यमराज उसकी श्रद्धा से प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी, उसके भाई की आयु लंबी होगी और उसे यमलोक के भय से मुक्ति मिलेगी।तभी से भाई दूज का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है — जो आज भी उतनी ही श्रद्धा और उत्साह से मनाई जाती है।
भाई-बहन के रिश्ते का सबसे प्यारा दिन
रक्षाबंधन की तरह भाई दूज भी भाई-बहन के प्यार, विश्वास और अपनापन का प्रतीक है। जहां राखी पर बहन रक्षा का धागा बांधती है, वहीं भाई दूज पर तिलक लगाकर वह भाई की दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती है। ये पर्व न सिर्फ पारिवारिक रिश्तों को मजबूत करता है, बल्कि भारतीय संस्कृति की सुंदरता और भावनात्मक जुड़ाव को भी दर्शाता है।