जानें कब से शुरु होगी दर्गा पूजा,
माता रानी की आंख खोलने का क्या है महत्व
1 months ago Written By: ANJALI
दुर्गा पूजा भारत के सबसे बड़े और धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। यह पर्व मुख्य रूप से बंगाल, असम, बिहार, उड़ीसा और देश के अन्य हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व में माता दुर्गा के दस रूपों की आराधना की जाती है और भक्त उनकी शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्ति में लीन रहते हैं।
दुर्गा पूजा 2025 की तारीखें
शारदीय दुर्गा पूजा 2025 28 सितंबर, रविवार से शुरू हो रही है।
महालय: 28 सितंबर 2025 – पूजा का आधिकारिक आरंभ और पितरों की तर्पण।
सप्तमी से विजयदशमी: 28 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक मुख्य पूजा।
माता रानी की आंख खोलने का महत्व
दुर्गा पूजा में प्रतिमाओं की स्थापना के बाद पहली बार माता की आंखों का उद्घाटन किया जाता है, जिसे चौखट/नेत्र स्थापना कहा जाता है। इस दिन माता दुर्गा की मूर्ति को जीवंत माना जाता है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार, माता की आंख खोलने के बाद ही उनकी शक्ति और आशीर्वाद घर और समाज में पूरी तरह प्रकट होते हैं।
महालय का महत्व
महालय के दिन पितरों की तर्पण और श्राद्ध का कार्य भी किया जाता है। बंगाल और अन्य क्षेत्रों में यह दिन विशेष रूप से पितरों को याद करने और माता दुर्गा को आमंत्रित करने का प्रतीक माना जाता है।
पूजा विधि और रीति-रिवाज
सप्तमी: माता दुर्गा की मूर्ति की स्थापना। भक्त दिनभर धूप, दीप, भजन और कीर्तन करते हैं।
अष्टमी और नवमी: विशेष हवन और पुष्प अर्पण के माध्यम से माता की आराधना।
विजयदशमी: प्रतिमा विसर्जन, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
दुर्गा पूजा 2025 में क्या खास?
इस साल पारंपरिक पूजा के साथ-साथ नई तकनीकी और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होंगे। मुख्य पूजा स्थल और पंडाल भव्य सजावट और थीम आधारित होंगे। भक्तजन माता रानी के दर्शन और भक्ति में शामिल होने के लिए उत्साहपूर्वक तैयारी कर रहे हैं।
अखंड ज्योति का महत्व
नवरात्रि पूजा में अखंड ज्योति जलाना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह ज्योति पूजा स्थल पर माता की शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इसे पूजा के दौरान लगातार जलाए रखना चाहिए, जिससे घर और समाज में सुख-समृद्धि बनी रहे।