सैयारा की वाणी जैसी रेयर बीमारी: 30 की उम्र में दिखने लगते हैं लक्षण,
जानें अल्जाइमर से कैसे अलग
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Early-Onset Alzheimers: आपने इस साल की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘सैयारा’ जरूर देखी होगी। इसमें एक्ट्रेस अनीत पड्डा ने वाणी बत्रा का किरदार निभाया था, जिसे एक रेयर बीमारी थी। इस बीमारी का नाम है अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर। यह अल्जाइमर का ही एक दुर्लभ रूप है, लेकिन इसमें व्यक्ति बहुत कम उम्र यानी 65 साल से पहले ही भूलने की गंभीर समस्या से जूझने लगता है। आमतौर पर अल्जाइमर बुजुर्गों में देखा जाता है, मगर यह बीमारी 20, 30, 40 या 50 साल की उम्र में भी पकड़ बना सकती है। आइए जानते हैं इसके लक्षण, कारण और बचाव के तरीके।
क्या है अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर हॉपकिंस मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार, अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम रूप है। इसमें याददाश्त, सोचने की क्षमता और व्यवहार धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है। जब यह बीमारी 65 वर्ष से कम उम्र के लोगों में होती है, तब इसे अर्ली-ऑनसेट या यंगर-ऑनसेट अल्जाइमर कहा जाता है। ऐसे केस बहुत ही कम होते हैं, लेकिन पीड़ित को डेली लाइफ में काफी संघर्ष करना पड़ता है।
कारण और रिस्क फैक्टर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण पारिवारिक इतिहास और जीन म्यूटेशन है। इसके अलावा जेनेटिक्स, डाउन सिंड्रोम, असामान्य प्रोटीन (एमिलॉइड और टाउ) का दिमाग में जमा होना भी इसके बड़े कारण हैं। ये प्रोटीन मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे धीरे-धीरे याददाश्त और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है।
लक्षण कैसे पहचानें शुरुआती लक्षणों में नई सीखी हुई बातें भूल जाना, एक ही सवाल बार-बार पूछना, तारीख और समय याद न रख पाना, रोज़मर्रा के काम जैसे बिल चुकाना मुश्किल होना शामिल है। मरीज को बातचीत में दिक्कत होती है, चीजें गुम हो जाती हैं और मूड-व्यवहार में लगातार बदलाव दिखता है। गंभीर स्टेज पर मरीज बोलने, चलने या निगलने में कठिनाई महसूस करता है और परिवार या दोस्तों पर शक करने लगता है।
इलाज और बचाव इस बीमारी का अभी कोई स्थायी इलाज नहीं है। हां, कुछ दवाएं दी जाती हैं जिससे मानसिक क्षमता कुछ हद तक बनी रहती है और बीमारी की प्रगति धीमी हो सकती है। बचाव के लिए नियमित एक्सरसाइज, हेल्दी डाइट, तनाव कम करना, शराब से दूरी और मेंटल हेल्थ बूस्ट करने वाली एक्टिविटीज़ जरूरी मानी जाती हैं।