भाग्य रेखा: हाथ की उस रेखा के बारे में हर जानकारी जो बताती है,
आपकी किस्मत
1 months ago
Written By: अनिकेत प्रजापति
हाथ में मौजूद रेखाओं को देखकर भविष्य बताने की प्रथा पुरानी है। इनमें से एक प्रमुख रेखा है भाग्य रेखा। ज्योतिष और हस्तरेखा में कहा जाता है कि भाग्य रेखा हमारे करियर, धन और सामाजिक स्थिति के बारे में संकेत देती है। कुछ लोगों के हाथ में एक भाग्य रेखा होती है, कुछ में दो और कुछ के हाथ में यह रेखा नहीं होती। जिनके हाथ में भाग्य रेखा नहीं होती, उनके जीवन में अधिक संघर्ष देखा जाता है—ऐसा मानना है। आइए जानें भाग्य रेखा कहाँ होती है, किस तरह की रेखा शुभ मानी जाती है और अलग-अलग प्रकारों का क्या अर्थ होता है।
भाग्य रेखा कहाँ से शुरू होती है
भाग्य रेखा सामान्यतः हथेली की कलाई के पास से शुरू होती है। यह कलाई से उठकर सीधे ऊपर की ओर बढ़ती है और अक्सर बीच वाली उंगली के नीचे स्थित शनि पर्वत तक पहुँचती है। शनि पर्वत वह भाग है जो बीच वाली उंगली के नीचे उभरा होता है। इस रेखा का मार्ग, लंबाई और समाप्ति बिन्दु ही उसकी व्याख्या करते हैं।
कौन-सी भाग्य रेखा मानी जाती है शुभ
सबसे शुभ मानी जाने वाली भाग्य रेखा वह है जो कलाई के पास से बिना किसी टूट-फूट के सीधे शनि पर्वत तक पहुंच जाए। ऐसी रेखा वालों का करियर अच्छा चलता है। इन लोगों को आर्थिक सुख, मान-सम्मान और सफलता मिलती है। वे जिन काम में हाथ डालते हैं, उसमें अच्छे परिणाम पाते हैं।
विशेष प्रकार और उनके संकेत
अगर भाग्य रेखा शनि पर्वत तक पहुँचकर दो भागों में टूट जाती है, तो यह अत्यंत शुभ मानी जाती है। ऐसे लोग धन और मान-सम्मान दोनों पाते हैं और दूसरों की मदद में आगे रहते हैं।यदि भाग्य रेखा से छोटी-छोटी शाखाएँ ऊपर की ओर निकल रही हों, तो यह करियर में तेज़ उछाल का संकेत है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति जल्दी तरक्की पाता है और आर्थिक स्थिति मजबूत रहती है।
अलग अंत और मेहनत का भाव
यदि भाग्य रेखा की शुरुआत सीधी हो पर अंत सीढ़ी-नुमा (लैडर जैसा) हो, तो इसको मेहनती रेखा माना जाता है। ऐसे लोग कड़ी मेहनत से अपने भाग्य को चमकाते हैं। वे संघर्ष के बाद सफलता पाते हैं और अपनी अलग पहचान बनाते हैं।