गंगा स्नान का सही तरीका क्या है?
देवकीनंदन ठाकुर ने बताए 8 अहम नियम
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर कहते हैं कि गंगा में स्नान करने का वास्तविक पुण्य तभी मिलता है जब व्यक्ति कुछ खास नियमों का पालन करे। हाल के वक्त में उनका कहना है कि 99 प्रतिशत लोग इन नियमों से अनभिज्ञ हैं और गलती करने पर गंगा स्नान का फल नहीं मिलता बल्कि पाप भी साथ ले आते हैं। ठाकुर ने गंगा स्नान से पहले और बाद के व्यवहार, तट पर क्या न करना चाहिए और क्यों नंगे पाँव जाकर गंगा के तट तक जाना ज़रूरी है—ये सब स्पष्ट रूप से बताए हैं।
नंगे पाँव जाएँ, वाहन और चप्पल पुण्य कम कर देते हैं ठाकुर का कहना है कि अगर आप गाड़ी या चप्पल में गंगा के पास आते हैं तो स्नान के पुण्य का हिस्सा वाहन या चप्पल को ही चला जाता है। उदाहरण के तौर पर गाड़ी से आने पर 50% पुण्य वाहन को मिलता है और चप्पलों में आधा पुण्य चला जाता है। इसलिए वह सलाह देते हैं कि गंगा से दूरी पर वाहन छोड़कर नंगे पाँव तट तक पहुँचना चाहिए।
पहले गंगा माता का पूजन और संकल्प आवश्यक गंगा में चरण रखने से पहले गंगा माता का पूजन करना, आचमन करना और संकल्प लेना अनिवार्य बताया गया है। ठाकुर के अनुसार जब आप चरण रखते हैं तो आप ‘नारायण’ बनते हैं, पात्र में जल लेते समय आप ‘ब्रह्मा’ और डुबकी लगाते समय आप ‘शिव’ के समान फल पाते हैं।
क्या न करें — कुल्ला, वस्त्र धोना, शरीर मलना मना देवकीनंदन ठाकुर स्पष्ट कहते हैं कि गंगा में कुल्ला करना, वस्त्र धोना या शरीर मलना सही नहीं है। शास्त्रों के अनुसार गंगा पाप धोती है, मैल नहीं; इसलिए कुल्ला करने से पाप लग सकता है और शौच जैसे कामों से बड़ा पाप होता है।
स्नान के बाद तौलिये से न पोछें, भजन जरूर करें गंगा स्नान के तुरंत बाद शरीर को तौलिये से पोछना पुण्य समाप्त कर देता है—ठाकुर का ऐसा कहना है। इसलिए शरीर खुद-ब-खुद सूख जाने तक तट पर बैठकर रहना चाहिए और भजन-कीर्तन करना चाहिए। इससे स्नान का पूरा पुण्य मिलता है।
घर में स्नान कर के जाएँ और सावधानियाँ अपनाएँ ठाकुर ने अंतिम सलाह में कहा कि गंगा स्नान से पहले घर में स्नान कर लेना चाहिए। साथ ही श्रद्धा व सही विधान के साथ गंगा तट पर आना चाहिए, ताकि स्नान का पूरा आध्यात्मिक फल प्राप्त हो सके।