गुरु नानक जयंती 2025: 5 नवंबर को मनाया जाएगा प्रकाश पर्व, जानिए तारीख,
शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व
1 months ago Written By: ANIKET PRAJAPATI
सिख धर्म के प्रथम गुरु और महान संत गुरु नानक देव जी की जयंती हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यह दिन सिख समुदाय का सबसे बड़ा और पवित्र पर्व माना जाता है। देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे लाखों श्रद्धालु भी इस दिन को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। इसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन को ज्ञान, प्रेम और मानवता के प्रकाश के रूप में देखा जाता है।
गुरु नानक जयंती 2025 की तारीख और समय इस साल गुरु नानक जयंती 5 नवंबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 नवंबर की रात 10:36 बजे होगी और इसका समापन 5 नवंबर की शाम 6:48 बजे होगा। इसी दौरान देशभर के गुरुद्वारों में भजन-कीर्तन, लंगर और प्रभात फेरियों का आयोजन होगा।
गुरु नानक जयंती के शुभ मुहूर्त पवित्र ग्रंथों के अनुसार इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:46 से 5:37 बजे तक रहेगा, विजय मुहूर्त दोपहर 1:56 से 2:41 बजे तक और गोधूलि मुहूर्त शाम 5:40 से 6:05 बजे तक रहेगा। माना जाता है कि इन पवित्र समयों में गुरु नानक देव जी के नाम का स्मरण और पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायी होता है।
गुरु नानक देव जी कौन थे? गुरु नानक देव जी का जन्म वर्ष 1469 में ननकाना साहिब (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता का नाम मेहता कालू चंद और माता का नाम माता तृप्ता था। उन्होंने बचपन से ही ईश्वर, समानता और मानवता का मार्ग अपनाया। उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की और अपने उपदेशों के माध्यम से समाज में प्रेम, सेवा और समानता का संदेश फैलाया। उनके विचार आज भी लोगों को सच्चे कर्म और ईमानदारी का रास्ता दिखाते हैं।
गुरु नानक जयंती का धार्मिक महत्व जैसे हिंदू धर्म में दिवाली सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, वैसे ही सिख धर्म में गुरु नानक जयंती का स्थान सर्वोच्च है। इस दिन को प्रकाश पर्व इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह आध्यात्मिक प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक है। श्रद्धालु इस दिन नगर कीर्तन में भाग लेते हैं, गुरुद्वारों में दीयों की सजावट की जाती है और लंगर सेवा के माध्यम से गुरु की शिक्षाओं को याद किया जाता है। गुरु नानक देव जी ने कहा था— “सब में जोत, जोत है सोई, तिस दा चानण सभ में होई।” यानी हर प्राणी में एक ही परमात्मा का प्रकाश विद्यमान है। यही संदेश इस पावन दिन का सार है — समानता, प्रेम और मानवता की राह पर चलना।