गुरु तेग बहादुर की शहादत दिवस:
इतिहास, महत्त्व और प्रेरक विचार
1 months ago Written By: Aniket Prajapati
दिन भर का रिपोर्ट — हर साल 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस मनाया जाता है, पर इस साल उत्तर प्रदेश और दिल्ली में यह सार्वजनिक अवकाश 25 नवंबर को रखा गया है। गुरु तेग बहादुर जी ने 1675 में दिल्ली में मुगल शासन के धार्मिक अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाई थी और कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। आज देशभर के गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन, अरदास और लंगर का आयोजन होता है। दिल्ली के शीश गंज साहिब पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ झुककर श्रद्धांजलि देती है।
शहीदी दिवस का इतिहास और कारण गुरु तेग बहादुर जी ने धार्मिक स्वतंत्रता और मानवता की रक्षा के लिए विरोध किया। जब औरंगजेब ने धर्मांतरण और उत्पीड़न की नीतियाँ लागू कीं तो गुरु जी ने सच्चाई और इंसाफ के लिए आवाज उठाई। इन्हें 1675 में दिल्ली में शहादत मिली। उनका बलिदान धार्मिक स्वतंत्रता का प्रतीक बन गया। इसलिए शहीदी दिवस को याद करना और उनकी शिक्षाओं को अपनाना आवश्यक माना जाता है।
कैसे मनाया जाता है इस दिन गुरुद्वारों में सुबह से कीर्तन चलते हैं। अरदास में गुरु तेग बहादुर की स्मृति को याद किया जाता है। लंगर में गरीब और जरूरतमंदों को खाना परोसा जाता है। लोग गुरुद्वारे जाकर माथा टेकते हैं और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। दिल्ली और यूपी में सरकारी छुट्टी होने के कारण श्रद्धालुओं को भागीदारी का मौका मिलता है।
गुरु तेग बहादुर के प्रेरणादायक विचार
गुरु जी ने इंसानियत, समानता और साहस का पाठ पढ़ाया। उनके कुछ प्रमुख विचार सरल भाषा में —
सुख-दुःख में समानता बनाए रखें।
सभी जीवों का सम्मान करें।
सच्चा धर्म सेवा और निस्वार्थता सिखाता है।
ईश्वर को अपने हृदय में खोजो।
घमंड छोड़ कर दया और नम्रता अपनाओ।
भय केवल मन का बनाया होता है; मन को नियंत्रित करो।
छोटी-छोटी अच्छाइयों से बड़ा काम बनता है।
हार-जीत सोच पर निर्भर है; साहस ही मायने रखता है।
सज्जन वही जो अनजाने में किसी की भavna न ठेस पहुंचाए।
गलतियों को स्वीकार कर क्षमा मांगना वीरता है।
गुरु तेग बहादुर का जीवन और वाणी आज भी लोगों को इंसाफ, साहस और सहिष्णुता की सीख देती है। शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके आदर्शों को जीवन में अपनाना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।