पितृ पक्ष में पड़ने वाली इस एकादशी का पड़ता है बहुत असर,
जानें कब रखें व्रत और कैसे करे पूजा
1 months ago
Written By: ANJALI
सनातन धर्म में पुनर्जन्म और कर्म सिद्धांत का विशेष महत्व है। व्यक्ति अपने जीवन में जो भी कर्म करता है, उसके अनुसार उसे अगला जीवन प्राप्त होता है। अच्छे कर्म करने वाले देवलोक या उच्च लोक की प्राप्ति करते हैं, वहीं बुरे कर्म करने वालों को यम यातना और नरक लोक का सामना करना पड़ता है।
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जो लोग अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान नहीं करते, उनके पूर्वज प्रेतयोनि में भटकते रहते हैं। ऐसे में पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष दिलाने के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करना अनिवार्य माना गया है।
पितृ पक्ष 2025 कब तक है?
पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होती है और इसका समापन आश्विन अमावस्या पर होता है। इस वर्ष पितृ पक्ष 07 सितंबर 2025 से 21 सितंबर 2025 तक रहेगा। इस दौरान प्रतिदिन तिथि अनुसार पितरों का तर्पण और पिंडदान करने की परंपरा है।
सर्व पितृ अमावस्या 2025
पितृ पक्ष का अंतिम दिन सर्व पितृ अमावस्या कहलाता है। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती। 2025 में सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर को है। मान्यता है कि इस दिन के बाद पितृ अपने लोक लौट जाते हैं।
इंदिरा एकादशी का महत्व
पितृ पक्ष के दौरान आने वाली एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। यह दिन विशेष रूप से पितरों के उद्धार और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
इस दिन लक्ष्मी-नारायण की पूजा होती है।
पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से वे तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं।
मान्यता है कि इस दिन तर्पण करने से तीन पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इंदिरा एकादशी 2025: शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार:
एकादशी तिथि आरंभ: 16 सितंबर, रात 12:21 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 17 सितंबर, रात 11:39 बजे
इस प्रकार, इंदिरा एकादशी 2025 का व्रत और पूजा 17 सितंबर (बुधवार) को की जाएगी।
इंदिरा एकादशी पितरों की आत्मा की मुक्ति और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का अद्भुत अवसर है। इस दिन विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण करने से न केवल पितर संतुष्ट होते हैं बल्कि घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि भी बनी रहती है।