27 जून से पुरी में भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा,
जानिए भगवान जगन्नाथ की इस पावन यात्रा का धार्मिक महत्व
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Jagannath Rath Yatra 2025: ओडिशा के पुरी में हर साल की तरह इस साल भी भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा 27 जून से शुरू हो रही है। यह यात्रा हर साल आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को प्रारंभ होती है और 9 दिनों तक चलती है। रथ यात्रा को ऐसा पावन अवसर माना जाता है जब भगवान स्वयं मंदिर से बाहर निकलते हैं और अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी शामिल होते हैं। भक्तों को भगवान के दर्शन और रथ की रस्सी खींचने का सौभाग्य मिलता है, जिसे बेहद पुण्यदायी माना गया है। यह यात्रा जात-पात और भेदभाव से परे भक्ति और सेवा का प्रतीक मानी जाती है।
भगवान जगन्नाथ का रथ नन्दीघोष
बता दें कि तीनों भगवानों के लिए अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं, जो विशाल और रंग-बिरंगे होते हैं। भगवान जगन्नाथ का रथ नन्दीघोष कहलाता है, जो पीले और लाल रंग का होता है और इसमें 16 पहिए होते हैं। देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन कहलाता है, जो काले और लाल रंग का होता है और इसमें 14 पहिए होते हैं। यह अहंकार के विनाश का प्रतीक माना जाता है। बलराम जी का रथ तालध्वज कहलाता है, जो हरे और लाल रंग का होता है और इसमें भी 14 पहिए होते हैं। यह रथ स्थायित्व और शौर्य का प्रतीक है।
8 जुलाई को भगवान जगन्नाथ लौटेंगे श्रीमंदिर
इस पावन यात्रा के दौरान तीनों भगवानों को श्रीमंदिर से बाहर लाकर मौसी के घर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है। वहां भगवान 9 दिन विश्राम करते हैं और 8 जुलाई को वापस श्रीमंदिर लौटते हैं। इस वापसी यात्रा को बहुधा यात्रा या उल्टा रथ कहा जाता है। वापसी के दिन छेरा पहाड़ा नामक विशेष रस्म होती है, जिसमें पुरी के गजपति राजा स्वर्ण झाड़ू से रथों की सफाई करते हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि भगवान के सामने सभी बराबर हैं।
साल 2025 में पहली बार सिडनी में होगी जगन्नाथ रथ यात्रा
इस वर्ष की रथ यात्रा खास इसलिए भी है क्योंकि पहली बार ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में भी इसका आयोजन किया जाएगा, जिसमें भारतीय समुदाय बढ़-चढ़कर भाग लेगा। ऐसे में यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान का अंतरराष्ट्रीय विस्तार बन गया है।