जितिया व्रत करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान,
वरना बिगड़ जायेंगे बनते काम
4 days ago
Written By: ANJALI
हिंदू धर्म में जितिया व्रत का विशेष महत्व है। इसे जिवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। खासकर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह व्रत बहुत श्रद्धा और आस्था के साथ किया जाता है। यह व्रत माताएँ अपने संतान, विशेषकर पुत्र की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए रखती हैं।
जितिया व्रत 2025 की तारीखें
नहाय-खाय: 13 सितंबर 2025, शनिवार
व्रत और पूजा: 14 सितंबर 2025, रविवार
पारण: 15 सितंबर 2025, सोमवार
इस साल अष्टमी और नवमी तिथि के संयोग को लेकर संशय है, लेकिन पंचांग के अनुसार व्रत 14 सितंबर को ही रखा जाएगा और 15 सितंबर को पारण होगा।
नहाय-खाय की परंपरा (13 सितंबर 2025)
जितिया व्रत से एक दिन पहले माताएँ स्नान करके सात्विक और पवित्र भोजन करती हैं। इसे नहाय-खाय कहते हैं। इस दिन आमतौर पर चना-चावल, दलिया, कद्दू की सब्जी और घी का सेवन किया जाता है। यह भोजन अगले दिन के निर्जल उपवास के लिए ऊर्जा देता है।
व्रत और पूजा विधि (14 सितंबर 2025)
माताएँ पूरे दिन निर्जल उपवास करती हैं।
पूजा के समय जिवित्पुत्रिका माता, भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है।
इस दौरान जिमूतवाहन, चील और सियारिन की कथा सुनाई जाती है, जो त्याग और पुत्र रक्षा का प्रतीक है।
महिलाएँ संकल्प लेकर अपने पुत्र का नाम लेती हैं और उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।
व्रत कथा
कथा के अनुसार, नेत्रवती नामक स्त्री ने अपने पुत्र की रक्षा के लिए कठोर उपवास किया था। उसकी भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर यमराज ने उसके पुत्र को दीर्घायु का आशीर्वाद दिया। तभी से यह व्रत संतान की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए किया जाने लगा।
पारण (15 सितंबर 2025)
अगले दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण होता है।
सबसे पहले दीप जलाकर माता की आराधना की जाती है।
फिर परंपरागत भोजन जैसे दाल-भात, खीर, नॉनी साग, सत्तपुतिया की सब्जी और मारुआ की रोटी खाई जाती है।
पारण में विशेष व्यंजन "जिउतिया" का सेवन अनिवार्य माना गया है।
क्या पुत्री के लिए भी किया जा सकता है यह व्रत?
पहले यह व्रत सिर्फ पुत्र की लंबी उम्र के लिए रखा जाता था, लेकिन अब मान्यता बदल रही है। आज कई माताएँ पुत्र ही नहीं, बल्कि पुत्री के कल्याण और सुरक्षा के लिए भी यह व्रत करती हैं।