काल भैरव जयंती पर राशि अनुसार करें शिव अभिषेक,
मिलेगी भगवान भैरव की विशेष कृपा
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
आज 12 नवंबर को पूरे देश में काल भैरव जयंती श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जा रही है। यह दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन यदि भक्त सच्चे मन से भगवान शिव और काल भैरव की पूजा करते हैं, तो जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, इस दिन राशि के अनुसार शिव अभिषेक करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और साधक को धन, सफलता और शांति का आशीर्वाद देते हैं।
काल भैरव जयंती का महत्व काल भैरव भगवान शिव का उग्र और रक्षक स्वरूप माने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने अहंकार में आकर शिव का अपमान किया था, तब भगवान शिव ने अपने रौद्र रूप में काल भैरव का प्रकट किया था। कहा जाता है कि इस दिन की पूजा से व्यक्ति को भय, पाप और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। इस दिन भक्त विशेष रूप से काल भैरव मंदिरों में दर्शन, उपवास और दान-पुण्य करते हैं।
राशि अनुसार करें भगवान शिव का अभिषेक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक राशि के लोगों को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग वस्तुओं से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से न केवल जीवन में सफलता मिलती है, बल्कि मन की शांति और स्थिरता भी प्राप्त होती है।
मेष राशि: गंगाजल में शहद मिलाकर अभिषेक करें।
वृषभ राशि: गाय के कच्चे दूध से शिवलिंग को स्नान कराएं।
मिथुन राशि: गंगाजल में बेलपत्र मिलाकर अभिषेक करें।
कर्क राशि: शुद्ध घी से अभिषेक करना शुभ रहेगा।
सिंह राशि: गंगाजल में सुगंध मिलाकर स्नान कराएं।
कन्या राशि: गंगाजल में दूर्वा डालकर अभिषेक करें।
तुला राशि: शुद्ध दही से शिवजी का अभिषेक करें।
वृश्चिक राशि: गंगाजल में मिश्री मिलाकर स्नान कराएं।
धनु राशि: गन्ने के रस से अभिषेक करना उत्तम रहेगा।
मकर राशि: गंगाजल में काले तिल मिलाकर अभिषेक करें।
कुंभ राशि: गंगाजल में शमी के पत्ते मिलाएं।
मीन राशि: गंगाजल में मदार के पत्ते डालकर शिवजी का अभिषेक करें।
काल भैरव की कृपा से मिटेंगे कष्ट मान्यता है कि जो व्यक्ति काल भैरव जयंती पर विधि-विधान से अभिषेक करता है, उसके जीवन से सभी संकट, भय और रोग दूर हो जाते हैं। भगवान भैरव की कृपा से साधक को धन, सौभाग्य, आत्मविश्वास और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए आज के दिन श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव और काल भैरव की पूजा अवश्य करें।