करवा चौथ 2025: सुहागिन महिलाओं के लिए
व्रत के नियम और सावधानियां
15 days ago Written By: अनिकेत प्रजापति
आज देशभर में सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। घर-आंगन में धार्मिक और पवित्र माहौल बना हुआ है। करवा चौथ का महत्व वैदिक और लौकिक दोनों दृष्टि से अत्यंत गूढ़ माना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से पति की लंबी उम्र, वैवाहिक जीवन में प्रेम, सामंजस्य और सुरक्षा के लिए समर्पित है। केवल परंपरा नहीं, बल्कि यह एक भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुशासन भी है। व्रत की पवित्रता बनाए रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है।
करवा चौथ व्रत में क्या करें और क्या ना करें 1 गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य कारणों से डॉक्टर की सलाह लेकर ही निर्जला व्रत रखें। जरूरत पड़ने पर फलाहार या पानी का सेवन किया जा सकता है।
2 यह व्रत केवल शरीर का संयम नहीं, बल्कि मन का भी अनुशासन है। दिनभर शांत रहें, किसी से बहस या क्रोध ना करें।
3 नकारात्मक विचार या अपशब्दों का प्रयोग व्रत के दिन पूर्णतः वर्जित है। मन ही मन ईश्वर का भजन करते रहें।
4 करवा चौथ के दिन दिन में सोना अशुभ माना गया है।
5 इस दिन काले या सफेद रंग के कपड़े पहनना वर्जित है। लाल, गुलाबी या पीले रंग के कपड़े सौभाग्य और शुभता के प्रतीक माने जाते हैं।
पूजा से पहले स्नान और सोलह श्रृंगार मां पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है। श्रृंगार में सभी आभूषण, मेहंदी और रंगीन परिधान शामिल करें। व्रत में लाल, गुलाबी या पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है। यह स्त्री शक्ति और सौभाग्य का प्रतीक है।
व्रत के दौरान पानी या भोजन का सेवन ना करें करवा चौथ का व्रत निर्जला व्रत होता है, यानी बिना भोजन और पानी के रखा जाता है। स्वास्थ्य कारणों से मुश्किल होने पर डॉक्टर की सलाह लेकर फलाहार किया जा सकता है। व्रत का मुख्य उद्देश्य आत्मा और शरीर का संयम बनाए रखना है।
श्रृंगार और मेकअप अधूरा ना रखें पूजा और व्रत के दौरान श्रृंगार और मेकअप पूरा करना आवश्यक है। यह न केवल मां पार्वती के प्रतीक के रूप में माना जाता है, बल्कि स्त्री शक्ति और वैवाहिक सौभाग्य को भी सम्मानित करता है।
मोबाइल और सोशल मीडिया से दूरी बनाएँ करवा चौथ का पूरा दिन आध्यात्मिकता और अपने रिश्ते के प्रति समर्पण में बिताना चाहिए। मोबाइल या सोशल मीडिया में समय व्यर्थ करने से व्रत का प्रभाव कम हो सकता है।