जन्माष्टमी को लेकर है कंफ्यूज,
तो यहां जाने कब है और क्या है पूजा विधि
17 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन और आनंदमय पर्व है, जिसे पूरे देश में भक्तिभाव और उल्लास के साथ मनाया जाता है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं, घर-घर में भजन-कीर्तन गूंजते हैं और आधी रात को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
जन्माष्टमी 2025 कब है?
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त 2025 को रात 11:49 बजे आरंभ होकर 16 अगस्त की रात 9:34 बजे समाप्त होगी।
15 अगस्त 2025: स्मार्त संप्रदाय द्वारा पूजन।
16 अगस्त 2025: वैष्णव संप्रदाय और ब्रजवासी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे।
जन्माष्टमी का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण, धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए अवतरित हुए थे। उनका जन्मोत्सव न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रेम, भक्ति और त्याग की प्रेरणा देता है।
जन्माष्टमी पूजा विधि (Janmashtami Puja Vidhi)
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
घर या मंदिर में श्रीकृष्ण का झूला सजाएं और फूलों व लाइट से श्रृंगार करें।
पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से अभिषेक करें।
ताजे मक्खन, मिश्री और तुलसी दल का भोग लगाएं।
दिन भर भजन-कीर्तन करें और श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण करें।
रात्रि 12 बजे जन्मोत्सव मनाएं, शंख और घंटियों की ध्वनि के साथ आरती करें।
प्रसाद का वितरण करें और भक्तों को भोग ग्रहण कराएं।
आरती कुंजबिहारी की
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
गले में वैजयंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,
चन्द्र सी झलक; ललित छवि श्यामा प्यारी की।।
कृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति और सत्य की विजय का उत्सव है। भक्त इस दिन उपवास, कीर्तन और आराधना के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण को अपने हृदय में बसाते हैं।