महालक्ष्मी व्रत रखने पर इन बातों का रखें ध्यान,
जानें कैसे करें व्रत का समापन और दान
1 months ago
Written By: ANJALI
हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना गया है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होने वाला महालक्ष्मी व्रत हर साल बड़ी श्रद्धा से किया जाता है। इस वर्ष भी महालक्ष्मी व्रत 2025 का शुभारंभ इसी दिन से होगा। मान्यता है कि इस व्रत को सच्चे मन और नियमों के साथ करने से घर-परिवार पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व
महालक्ष्मी व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत बड़ा है। यह व्रत जीवन से दरिद्रता को दूर करता है और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। मान्यता है कि जो भी भक्त इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करता है, उसके घर में धन, अन्न और शांति बनी रहती है। माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर भक्त के जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।
पूजा विधि
महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत प्रातःकाल स्नान करके और व्रत का संकल्प लेने से होती है। घर और पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखने के बाद कलश की स्थापना की जाती है। माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को सजाकर उन पर लाल वस्त्र चढ़ाए जाते हैं। पूजा के दौरान धूप, दीप, पुष्प, फल और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। विशेष रूप से शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना शुभ माना जाता है, क्योंकि इससे देवी लक्ष्मी का घर में प्रवेश होता है।
व्रत के नियम
इस व्रत के दौरान सात्विक और हल्का भोजन करना चाहिए। मन में किसी भी प्रकार का नकारात्मक विचार नहीं लाना चाहिए। माता लक्ष्मी केवल उसी स्थान पर निवास करती हैं, जहां स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है। इसलिए घर और मंदिर की सफाई का विशेष महत्व होता है। साथ ही, व्यक्तिगत स्वच्छता का पालन करना भी जरूरी माना जाता है।
16 गांठ वाला धागा
महालक्ष्मी व्रत का एक विशेष नियम है—भक्त अपनी दाहिनी कलाई में 16 गांठ वाला पवित्र धागा बांधते हैं। यह धागा देवी लक्ष्मी के 16 स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। इसे सबसे पहले पूजाघर में रखकर कुमकुम और अक्षत से पूजना चाहिए, फिर माता के चरणों में अर्पित करके दाहिने हाथ में बांध लेना चाहिए। ऐसा करने से व्रत का पुण्य और अधिक बढ़ जाता है।
व्रत का समापन और दान
महालक्ष्मी व्रत के अंतिम दिन दान करना अनिवार्य माना गया है। भक्त अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन दान करते हैं। यह परंपरा न केवल देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करती है बल्कि जीवन में पुण्य और आशीर्वाद की वृद्धि भी करती है। महालक्ष्मी व्रत 2025 को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करना चाहिए। स्वच्छता, पूजा-विधि और दान का पालन करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत से घर-परिवार में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।