हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व शक्ति उपासना का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। पूरे देश में इसे बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना या कलश स्थापना का विशेष महत्व है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि देवी दुर्गा का आह्वान और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश भी माना जाता है।
घटस्थापना का महत्व
मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में की गई घटस्थापना से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि, शक्ति और सफलता का आशीर्वाद देती हैं। सही विधि और आस्था के साथ किया गया यह पूजन पूरे नवरात्रि के फल प्रदान करता है।
घटस्थापना की सही विधि
शुभ मुहूर्त चुनें: घटस्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करें। अमावस्या या संधि काल में स्थापना वर्जित मानी गई है।
स्थान का चयन: घर के पूजा स्थल या ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) को सबसे शुभ माना जाता है।
कलश की तैयारी: कलश में गंगाजल या शुद्ध जल भरें। उसमें सुपारी, सिक्का, पंचरत्न और आम के पत्ते डालें।
नारियल की स्थापना: कलश के ऊपर नारियल रखें और इसे लाल वस्त्र या चुनरी से बांधें।
जौ या गेहूं की बुआई: मिट्टी से भरे पात्र में जौ बोकर कलश के पास रखें। यह नई ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक है।
घटस्थापना के समय बरतें ये सावधानियां
पूजा सामग्री और कलश बिल्कुल शुद्ध और पवित्र हों।
घटस्थापना के बाद कलश को कभी भी हिलाएं-डुलाएं नहीं।
नारियल को सही तरीके से बांधकर उसके ऊपर माता की चुनरी रखें।
नौ दिनों तक अखंड ज्योति (घी का दीपक) जलाना अत्यंत शुभ माना गया है।
नवरात्रि के दौरान सात्विक भोजन करें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
धार्मिक मान्यता
ऐसा विश्वास है कि घटस्थापना करने से घर में शक्ति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक नियमित पूजा, मंत्रजाप और देवी स्तोत्र का पाठ करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।