दशहरे पर नीलकंठ का दिखना क्यों है खास,
जानें क्या है नीलकंठ और भगवान शिव का संबंध
23 days ago Written By: ANJALI
आज यानी 2 अक्टूबर, गुरुवार को पूरे देश में दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर धर्म की विजय सुनिश्चित की थी। लेकिन दशहरे से जुड़ी एक खास परंपरा और भी है—नीलकंठ पक्षी के दर्शन करना। इसे बेहद शुभ और मंगलकारी माना जाता है।
क्यों खास है दशहरे पर नीलकंठ का दिखना?
कहते हैं कि रावण वध से पहले भगवान राम को भी नीलकंठ पक्षी के दर्शन हुए थे। तभी से दशहरे के दिन नीलकंठ देखने की परंपरा चली आ रही है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन यह पक्षी दिखाई दे जाए तो आने वाला समय खुशियों और सफलता से भरा होता है। इसे सौभाग्य का संकेत भी माना जाता है।
नीलकंठ और भगवान शिव का संबंध
नीलकंठ का नाम आते ही भगवान शिव का स्मरण होता है। समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला, तो महादेव ने उसे पी लिया था और उनका कंठ नीला पड़ गया। तभी से वे ‘नीलकंठ’ कहलाए। एक कथा यह भी बताती है कि रावण वध के बाद भगवान राम ने महादेव की पूजा की थी, और महादेव ने उन्हें नीलकंठ रूप में दर्शन दिए। इसीलिए दशहरे पर इस पक्षी के दर्शन शिव कृपा का प्रतीक माने जाते हैं।
नीलकंठ दिखने का शुभ संकेत
नीलकंठ देखने से किस्मत चमकने की मान्यता है।
यह संकेत देता है कि किसी जरूरी कार्य में सफलता मिलने वाली है।
इसे सुख, समृद्धि और धन-धान्य वृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है।
दशहरा केवल रावण वध और अच्छाई की विजय का पर्व ही नहीं, बल्कि नीलकंठ पक्षी से जुड़ी आस्था और परंपरा का भी दिन है। यदि इस दिन नीलकंठ के दर्शन हो जाएं, तो इसे भगवान शिव का आशीर्वाद और आने वाले शुभ समय की निशानी माना जाता है।