जानें 84 लाख योनियों का रहस्य, किस रूप में होता है पहला जन्म,
पद्म पुराण में दर्ज है ये सारी बात
2 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Padma Purana: हिंदू धर्मग्रंथ पद्म पुराण में बताया गया है कि इस सृष्टि में कुल 84 लाख योनियां हैं। इन योनियों में मनुष्य की योनि को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अच्छे कर्मों के फलस्वरूप ही मनुष्य योनि में जन्म मिलता है। यह जीवन केवल एक शरीर नहीं है बल्कि एक अवसर है। मिथिलांचल जैसे क्षेत्रों में लोग गरुड़ पुराण की कथा के दौरान इस विषय को विस्तार से सुनते हैं। मृत्यु के बाद दस दिनों तक यह पुराण सुनाया जाता है, जिसमें योनियों का भी वर्णन होता है।
ब्रह्मा से सृष्टि की शुरुआतॉ
शास्त्रों के अनुसार सृष्टि की रचना ब्रह्मा ने की थी। ब्रह्मा ने पहले पुरुष रूप की रचना की। फिर प्रकृति और अन्य जीवों को बनाया गया। सबसे पहले जो महिला उत्पन्न हुईं उनका नाम था सप्त रूपा। पहले पुरुष थे मनु स्वयंभू। मनु कई हुए लेकिन पहले मनु को ही सृष्टि का आरंभकर्ता माना गया है।
कैसे हुईं 84 लाख योनियों की रचना
पद्म पुराण के अनुसार, जीवों की कुल 84 लाख योनियां हैं। इन योनियों को तीन वर्गों में बांटा गया है। जलचर, थलचर और नभचर।
अब जानिए कितनी-कितनी योनियां हैं
जलचर (पानी में रहने वाले जीव) 9 लाख पेड़-पौधे 20 लाख कीड़े मकोड़े 11 लाख पक्षी 10 लाख जानवर 30 लाख देवता, दैत्य और मनुष्य 4 लाख।
आखिर क्यों श्रेष्ठ है मनुष्य योनि
हर योनि में एक जीवन होता है। हर जीव को एक विशेष काम के लिए बनाया गया है। लेकिन मनुष्य के पास सोचने और समझने की ताकत है। इसी कारण से मनुष्य को सबसे ऊंचा स्थान मिला है। शास्त्रों में कहा गया है कि यह जीवन बहुत कीमती है।