पंचक शुरू: 27 नवंबर 2025 से 1 दिसंबर तक,
क्या है खास बात?
1 months ago Written By: Aniket prajapati
सनातन परंपरा में पंचक का विशेष महत्व माना जाता है और आज यानी 27 नवंबर 2025 से एक पंचक आरंभ हो गया है जो 1 दिसंबर 2025 रात 11:18 बजे तक रहेगा। ज्योतिष के अनुसार जब चंद्रमा कुछ विशेष नक्षत्रों से गुजरता है तो उस अवधि को पंचक कहा जाता है और पारंपरिक तौर पर कुछ कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है। हालांकि इस बार का पंचक गुरुवार को शुरू हो रहा है इसलिए इसे दोषरहित माना गया है, परंतु फिर भी कुछ गतिविधियों पर रोक है जिनके बारे में लोग जानना चाहते हैं ताकि अनावश्यक जोखिम से बचा जा सके। नीचे सरल भाषा में तारीखें, नियम और सावधानियों की जानकारी दी जा रही है।
पंचक क्या है? पंचक वह समय होता है जब चंद्रमा धनिष्ठा (तृतीय चरण), शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्रों से गुजरता है। इन नक्षत्रों की चाल और चंद्रमा का प्रभाव मिलकर उस अवधि को पंचक बनाते हैं। परंपरा में माना जाता है कि इस समय कुछ कार्यों का फल ठीक नहीं मिलता या कठिनाइयाँ आ सकती हैं। इसलिए पारिवारिक और धार्मिक जीवन में लोग इन दिशानिर्देशों का पालन करते हैं।
नवंबर का आखिरी और दिसंबर का पंचक की तारीखें इस बार का नवंबर का आखिरी पंचक 27 नवंबर 2025 गुरुवार दोपहर 02:07 बजे से शुरू होकर 1 दिसंबर 2025 सोमवार रात 11:18 बजे तक रहेगा। अगले माह का (दिसंबर) अंतिम पंचक 24 दिसंबर 2025 शाम 07:46 बजे से शुरू होकर 29 दिसंबर 2025 सुबह 07:41 बजे तक होगा। वर्ष 2025 का यह आखिरी पंचक माना जा रहा है।
इस पंचक को दोषरहित क्यों कहा जा रहा है? पंचक की शुभता प्रारम्भ के दिन पर भी निर्भर करती है। चूंकि यह पंचक गुरुवार को शुरू हो रहा है — जो भगवान विष्णु व बृहस्पति से जुड़ा दिन है इसलिए परंपरा में इसे दोषरहित या कम अशुभ माना गया है। इसका अर्थ यह है कि धार्मिक और मांगलिक कार्यों में बाधा कम होने की उम्मीद होती है और अधिकांश कर्म सावधानी के साथ किए जा सकते हैं।
किन कामों से बचें और क्या सावधानी अपनाएँ? हालांकि यह पंचक दोषरहित है, पर फिर भी कुछ कामों से परहेज करने की सलाह दी जाती है। विशेष रूप से मकान पर छत डलवाना, चारपाई बुनना/खोलना/बाँधना, दक्षिण दिशा की यात्रा, घर में लकड़ी खरीदकर लाना या इकट्ठा करना तथा दाह संस्कार में लापरवाही न करना शामिल है। इन कार्यों को टालने से पारंपरिक दृष्टि से संभावित बाधाओं और जोखिमों से बचा जा सकता है। सरल भाषा में कहा जाए तो संवेदनशील या स्थायी कार्यों में देरी रखें और धार्मिक/मांगलिक कार्य सहजता से किए जा सकते हैं।