इस विधि से करें पापंकुशा एकादशी के व्रत का पारण,
जानें क्या है इसका महत्व
22 days ago Written By: ANJALI
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है, लेकिन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे पापांकुशा एकादशी कहा जाता है, सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में हुए सभी पापों का क्षय होता है। व्रती को सुख, समृद्धि और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण यह तिथि हर साल श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाती है।
पापांकुशा एकादशी 2025 का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल पापांकुशा एकादशी के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। वहीं अमृत काल रात 10 बजकर 56 मिनट से रात 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। व्रत का पारण 04 अक्टूबर 2025 को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 08 बजकर 44 मिनट के बीच किया जाएगा। ध्यान रखें कि द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले ही पारण करना आवश्यक है, अन्यथा व्रत का फल नष्ट हो जाता है।
व्रत के नियम और पूजा विधि
इस व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करने के बाद उन्हें पीले फूल, तुलसी दल और पीली मिठाई अर्पित करें। इसके बाद धूप-दीप जलाकर आरती करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना विशेष रूप से फलदायी माना गया है।
दान और पारण का महत्व
पापांकुशा एकादशी पर दान का विशेष महत्व है। श्रद्धा अनुसार किसी ब्राह्मण या गरीब व्यक्ति को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा दान करना चाहिए और उन्हें भोजन कराना चाहिए। व्रत का समापन सात्विक भोजन से ही करना चाहिए। पारण द्वादशी तिथि के भीतर करने से ही व्रत का पूर्ण फल मिलता है।
पापांकुशा एकादशी व्रत आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की ओर ले जाने वाला माना गया है। यह व्रत जीवन से नकारात्मकता को दूर करके सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। श्रद्धा और विधि-विधान से इस व्रत को करने पर पाप नष्ट होते हैं और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।