क्या है परिवर्तिनी एकादशी 2025 का महत्व,
जानें तिथि व समय
8 days ago
Written By: ANJALI
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। इसे पद्मा, जलझूलनी या वामन एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व है।
परिवर्तिनी एकादशी 2025 की तिथि व समय
एकादशी तिथि प्रारंभ: 03 सितंबर 2025, बुधवार, रात 03:53 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 04 सितंबर 2025, गुरुवार, सुबह 04:21 बजे
व्रत व पूजा की तिथि: 03 सितंबर 2025 (बुधवार)
परिवर्तिनी एकादशी पर क्या दान करें?
1. अनाज और भोजन
जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना या चावल, दाल, गेहूं आदि का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे घर में अन्न-समृद्धि बनी रहती है।
2. पीले वस्त्र
भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। पीले वस्त्र दान करने से सकारात्मक ऊर्जा आती है और आर्थिक संकट दूर होते हैं।
3. मौसमी फल
इस दिन फल दान करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
4. तिल
तिल का दान शनि दोष से मुक्ति देता है और जीवन में स्थिरता लाता है। यह आध्यात्मिक व भौतिक सुखों को बढ़ाने वाला माना गया है।
5. गाय व चारा
गाय का दान सबसे श्रेष्ठ दान माना जाता है। यदि संभव न हो तो गाय को चारा खिलाना भी उतना ही पुण्यदायी है।
6. घी और शहद
घी व शहद का दान करने से घर में खुशहाली और मिठास बनी रहती है।
परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
पापों का नाश होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ग्रहदोष और शनि के कष्टों से मुक्ति मिलती है।