सतारा में भगवान शिव का चमत्कारी पाटेश्वर मंदिर,
पिंडनुमा शिवलिंगों के अद्भुत दर्शन
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
महाराष्ट्र के सतारा जिले के घने जंगलों में स्थित पाटेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव के भक्तों के लिए एक अद्भुत और चमत्कारी स्थल है। यह मंदिर लगभग 5000 साल पुराना माना जाता है और यहाँ विराजमान शिवलिंगों का अद्वितीय स्वरूप इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाता है। पाटेश्वर मंदिर की खासियत यह है कि यहाँ हजारों शिवलिंग हैं, जिनका हर आकार और रूप भिन्न है। मंदिर में दर्शन मात्र से भक्तों को मानसिक शांति और परिवार में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
पिंडनुमा शिवलिंगों की विशेषता पाटेश्वर मंदिर में भगवान शिव पिंडनुमा रूप में पूजे जाते हैं। मंदिर जंगलों से घिरी एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ के शिवलिंगों में कुछ छोटे पिंड के साथ कमल की पत्तियों की नक्काशी, कुछ मटके के आकार के और कुछ अष्टदिकपाल पिंड जैसे विशेष स्वरूपों में हैं। मंदिर का सबसे प्रमुख महा शिवलिंग बारीकी से नक्काशी किया गया है, जो भक्तों के आकर्षण का केंद्र है।
मंदिर की आठ गुफाएं और पुराणिक महत्व मंदिर परिसर में आठ गुफाएं भी हैं, जिनका निर्माण भगवान शिव द्वारा ध्यान लगाने के लिए किया गया माना जाता है। इन गुफाओं पर शिव और अन्य हिंदू देवी-देवताओं की सुंदर प्रतिमाएं बनी हैं। मंदिर में मौजूद कुछ शिवलिंगों का वर्णन पुराणों और वेदों में भी मिलता है, जिनमें मुखधारी पिंड, यंत्र पिंड, चतुर्मुखधारी पिंड, कुंभेश्वर और सहस्रलिंग शामिल हैं।
मठ और दुर्लभ वनस्पतियां मंदिर के पास ‘सद्गुरु गोविंदानंदस्वामी महाराज मठ’ भी स्थित है, जो धार्मिक गतिविधियों का केंद्र है। मंदिर की पहाड़ी दुर्लभ औषधीय गुणों वाले पौधों से भरी है, जहाँ सागवान, बरगद, जामुन, करवी, नीलांबरी और सोनकी जैसे पेड़ पाए जाते हैं। पाटेश्वर महादेव मंदिर अपने अद्भुत और चमत्कारी स्वरूपों के कारण भक्तों के लिए आध्यात्मिक अनुभव का अनूठा केंद्र बन चुका है।