पितृ पक्ष के दौरान इन मंत्रों का करें जाप,
पित्तर होंगे खुश मिलेगा उनका आशीर्वाद
5 days ago
Written By: ANJALI
हिंदू धर्म में पितृपक्ष को पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करने का विशेष काल माना गया है। मान्यता है कि इस समय पितृ लोक से पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से श्रद्धा, तर्पण और दान की अपेक्षा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, पितरों की आत्मा को प्रसन्न करने से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है, जबकि असंतुष्ट पितृ बाधाएं और क्लेश ला सकते हैं।
पितरों को प्रसन्न करने का महत्व
गरुड़ पुराण, गोरखपुर महात्मा और विष्णु धर्मसूत्रों में वर्णित है कि पितृ कुल के रक्षक होते हैं। यदि वे संतुष्ट रहते हैं, तो संतान को दीर्घायु, विद्या और संपत्ति का आशीर्वाद मिलता है। वहीं, पितरों की नाराजगी घर-परिवार में कठिनाइयों का कारण बनती है।
जल अर्पण का सही तरीका
पितृपक्ष में जल अर्पण को विशेष महत्व दिया गया है। सूर्योदय के समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तांबे के लोटे में गंगाजल, काला तिल, पुष्प और थोड़ा दूध मिलाकर जल अर्पण करना चाहिए। इस दौरान “ॐ पितृदेवाय नमः” मंत्र का जप करना शुभ माना जाता है।
पितरों को तृप्त करने वाले मंत्र
शास्त्रों में पितरों की शांति के लिए कुछ विशेष मंत्र बताए गए हैं। इनका जप 108 बार करने से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं—
ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय पितृभ्यो स्वधा
ॐ श्री पितृदेवताभ्यः नमः
पितृपक्ष में बरतने योग्य नियम
पितरों को प्रसन्न करने के लिए इस काल में कुछ नियमों का पालन करना चाहिए—
सात्विक आहार लें और तामसिक भोजन से बचें।
ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन व दान दें।
कटु वचन, क्रोध और अपशब्दों से दूरी बनाएं।
श्राद्ध के दिन मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन का सेवन वर्जित है।
पक्षियों और गायों को दाना-पानी देना शुभ माना जाता है।