ब्रह्म मुहूर्त में उठने पर प्रेमानंद महाराज का जोर,
कहा– इसी समय मिलता है सबसे बड़ा आध्यात्मिक फल
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
वृंदावन के प्रसिद्ध संत और राधा रानी के परम भक्त प्रेमानंद महाराज अपने सरल और प्रभावशाली प्रवचनों के लिए पूरे देश-दुनिया में जाने जाते हैं। हर उम्र के लोग उनकी बातों को ध्यान से सुनते हैं और अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं। लोग दूर-दूर से उनकी शरण में आते हैं और जीवन से जुड़े प्रश्नों का समाधान पाते हैं। हाल ही में एक प्रवचन के दौरान प्रेमानंद महाराज ने ब्रह्म मुहूर्त में उठने के महत्व पर खास जोर दिया। उन्होंने बताया कि सुबह के इस पवित्र समय में किया गया जप-स्मरण और साधना क्यों सबसे फलदायी मानी जाती है और क्यों यह समय व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत शुभ होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठना क्यों जरूरी? प्रवचन के दौरान एक भक्त ने पूछा कि वह सुबह जल्दी नहीं उठ पाता। इस पर प्रेमानंद महाराज ने बहुत ही सरल और स्पष्ट भाषा में कहा कि यदि कोई व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में नहीं उठ पा रहा है, तो इसका मतलब है कि वह ब्रह्मचर्य और अनुशासन का सही पालन नहीं कर रहा। उनके अनुसार, आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ना है तो सुबह 4 बजे से पहले उठना बेहद जरूरी है। महाराज के मुताबिक, इस समय में की गई साधना का फल कई गुना बढ़ जाता है और मन बहुत शांत एवं निर्मल रहता है।
सुबह 4 से 6 बजे तक सोना क्यों हानिकारक माना गया? प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जो साधक सुबह 4 से 6 बजे तक सोते रहते हैं, वे ब्रह्मचर्य का ठीक से पालन नहीं करते। ऐसा व्यक्ति जीवन में पूर्ण आध्यात्मिक फल नहीं पा सकता। उन्होंने बताया कि ब्रह्म मुहूर्त में सोना आलस्य का संकेत है और यह समय सोने का नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, साधना और ईश्वर स्मरण का होता है। इस समय में सोना व्यक्ति की साधना को कमजोर करता है और उसका आध्यात्मिक तेज कम होता है।
रात में देर तक भजन करने वालों के लिए छूट महाराज ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति रात 2 या 3 बजे तक भजन या साधना करता है, तो उसके लिए देर से उठना उचित है। लेकिन बिना कारण देर तक सोना साधना और आध्यात्मिक उन्नति दोनों को रोक देता है। उन्होंने कहा कि चाहे दिन भर कितनी भी भक्ति कर लो, लेकिन यदि ब्रह्म मुहूर्त में नहीं उठे, तो साधना का पूरा फल नहीं मिलता।
ब्रह्म मुहूर्त ही है सच्ची उपासना का समय प्रेमानंद महाराज के अनुसार, जो व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ईश्वर का स्मरण करता है, उस पर भगवान की विशेष कृपा बरसती है। सुबह 4 से 6 बजे का वातावरण अत्यंत शांत, दिव्य और ऊर्जावान होता है। इस समय किया गया मंत्रजाप कई गुना प्रभावी माना जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त का धार्मिक महत्व उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में ब्रह्म मुहूर्त को “भगवान का समय” कहा गया है और इसे अक्षय मुहूर्त भी माना जाता है। इस समय उठकर स्नान करना और आंखें बंद करके अपने ईष्ट का जप करना बेहद शुभ माना जाता है। इससे मन, शरीर और आत्मा शुद्ध होती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।