रक्षाबंधन पर क्यों पहनाया जाता है नया जनेऊ,
क्या है इसका धार्मिक महत्व?
22 days ago
Written By: anjali
रक्षाबंधन का पर्व केवल भाई-बहन के स्नेह और रक्षा के धागे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार भी है। इस दिन केवल राखी ही नहीं बांधी जाती, बल्कि कई धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं भी निभाई जाती हैं। इन्हीं में से एक बेहद पवित्र परंपरा है – नई जनेऊ धारण करना, जिसे श्रावणी उपाकर्म कहा जाता है।
क्या है जनेऊ और इसका धार्मिक महत्व?
जनेऊ, जिसे यज्ञोपवीत भी कहा जाता है, एक विशेष प्रकार का सूत से बना पवित्र धागा होता है। यह केवल एक वस्त्र नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुबंध होता है। इसमें तीन मुख्य धागे होते हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश – त्रिदेवों का प्रतीक माने जाते हैं। जनेऊ व्यक्ति को उसके जीवन के प्रमुख उद्देश्यों – कर्तव्य, संस्कार और आत्मिक विकास की निरंतर याद दिलाता है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति संयम, पवित्रता और आध्यात्मिक अनुशासन की राह पर चलता है।
रक्षाबंधन पर नई जनेऊ पहनने की परंपरा क्यों है विशेष?
रक्षाबंधन का पर्व सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन को श्रावणी उपाकर्म कहा जाता है, जो वेदों के अध्ययन और आत्मशुद्धि का प्रतीक है। प्राचीन काल में इस दिन ऋषि-मुनि अपने शिष्यों को वेदों का ज्ञान देते थे और उन्हें नई जनेऊ पहनाते थे। यह परंपरा आज भी कई परिवारों में उत्साह और श्रद्धा के साथ निभाई जाती है।
नई जनेऊ धारण करने के पीछे छिपे गहरे अर्थ
पवित्रता का प्रतीक
पुरानी जनेऊ को बदलकर नई जनेऊ पहनना केवल बाहरी परिवर्तन नहीं, बल्कि शरीर और आत्मा की शुद्धता का प्रतीक है। यह व्यक्ति को स्वच्छता, शुद्धता और संयम का पालन करने की प्रेरणा देता है।
पापों से मुक्ति और नई शुरुआत
माना जाता है कि श्रावणी उपाकर्म के दिन नई जनेऊ पहनने से पिछले पापों का प्रायश्चित होता है। यह एक आध्यात्मिक नवीकरण की प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ने का प्रण लेता है।
ज्ञान और संस्कार की याद
यह दिन केवल धार्मिक अनुष्ठान का नहीं, बल्कि जीवन में ज्ञान और अच्छे संस्कारों के महत्व को स्मरण करने का अवसर भी है। जनेऊ व्यक्ति को उसके कर्तव्यों और आध्यात्मिक मार्ग पर टिके रहने की प्रेरणा देता है।
पारिवारिक और सामाजिक एकता
रक्षाबंधन के दिन परिवार के सभी पुरुष सदस्य एक साथ बैठकर जनेऊ परिवर्तन का अनुष्ठान करते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक है, बल्कि पारिवारिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को भी मजबूत करती है।
रक्षाबंधन का त्योहार सिर्फ एक धागे की डोर नहीं, बल्कि उन अदृश्य सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और पारिवारिक संबंधों की भी याद है, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखते हैं। नई जनेऊ पहनना इसी परंपरा का एक अभिन्न और पवित्र हिस्सा है, जो हमें आत्मनिरीक्षण, शुद्धता और धर्म के पथ पर चलने की प्रेरणा देता है।