रमा एकादशी पर भांग से हुआ बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार,
त्रिनेत्र और रुद्राक्ष माला से सजे उज्जैन के महाकालेश्वर
8 days ago Written By: Aniket Prajapati
देशभर में शुक्रवार को कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी का पावन पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में आज का दिन बेहद खास रहा, जहां बाबा महाकाल का भांग से विशेष श्रृंगार किया गया। बाबा के त्रिनेत्र भांग से बनाए गए और उनके दिव्य रूप के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। कहा जाता है कि एकादशी के दिन बाबा महाकाल के दर्शन मात्र से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और हर भय से मुक्ति मिलती है।
भांग से हुआ बाबा महाकाल का अद्भुत श्रृंगार
शुक्रवार की सुबह उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हमेशा की तरह भस्म आरती के साथ दिन की शुरुआत हुई। इस दौरान भक्तों का तांता लगा रहा और "जय श्री महाकाल" के जयघोष से पूरा परिसर गूंज उठा। आरती के बाद बाबा का दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत और फलों के रस से जलाभिषेक किया गया। इसके बाद बाबा का दिव्य श्रृंगार किया गया, जो इस बार कुछ खास रहा। मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा के अनुसार, आज बाबा को भांग से श्रृंगारित किया गया। भांग से उनके त्रिनेत्र बनाए गए, माथे पर त्रिपुंड लगाया गया, और बाबा को नया मुकुट, रुद्राक्ष की माला और मुंडमाला धारण करवाई गई। बाबा के इस मनोहर रूप को देखकर भक्त भाव-विभोर हो उठे।
निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं बाबा
श्रृंगार के बाद बाबा महाकाल के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें मंदिर परिसर में लगी रहीं। कहा जाता है कि भस्म आरती के समय बाबा निराकार स्वरूप में होते हैं, इसलिए उस वक्त महिलाओं को घूंघट करना होता है। लेकिन श्रृंगार के बाद जब बाबा साकार स्वरूप में आते हैं, तब सभी भक्त उनके दर्शन कर सकते हैं। आज भी श्रृंगार के बाद बाबा के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी और पूरे मंदिर में "हर हर महादेव" और "जय श्री महाकाल" के जयकारे गूंजते रहे।
महाकाल: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसकी विशेषता यह है कि यहां का शिवलिंग दक्षिणमुखी है, जिसे अत्यंत शुभ और मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है। हर दिन बाबा का श्रृंगार अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। प्रातः 4 बजे होने वाली भस्म आरती में बाबा को महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भस्म अर्पित की जाती है। आरती और श्रृंगार के बाद भक्त दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।