व्रत में खाना है चावल तो जरुर ट्राई करे,
सामक चावल, कृष्ण-सुदामा से हुआ प्रचलित
1 months ago Written By: ANJALI
इन दिनों पूरे देश में नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान व्रत रखने वाले लोग अपने आहार में खासतौर पर राजगिरा, कुट्टू, सिंघाड़े का आटा, साबुदाना और सामक चावल जैसी चीजें शामिल करते हैं। इनमें से सामक चावल को लेकर अक्सर लोगों के बीच भ्रम होता है। कई लोग इसे सामान्य चावल समझ लेते हैं, जबकि वास्तव में इसका धान से कोई संबंध नहीं है।
विज्ञान और धर्म की नजर में सामक
सामक घास परिवार (Poaceae) का सदस्य है, लेकिन विज्ञान के अनुसार यह सिर्फ एक छोटा अनाज है और मुख्य अनाज नहीं माना जाता। वहीं धार्मिक दृष्टि से सामक को व्रत के दौरान खाने योग्य हल्का और सात्विक विकल्प माना जाता है। इसलिए व्रत में इसे ‘अनाज से बाहर’ रखकर खाया जाता है।
व्रत में सामक का इतिहास
सामक चावल का व्रत में इस्तेमाल आज का नहीं, बल्कि हजारों सालों पुराना है। भारत में मिलेट्स (जैसे बाजरा, रागी, सामक) की खेती और खाने की परंपरा 5000 साल से अधिक पुरानी मानी जाती है। हिंदू धर्मग्रंथों में इनको शुद्ध विकल्प माना गया है, जबकि चावल और गेहूं जैसे अनाज व्रत में वर्जित हैं।
कृष्ण-सुदामा से जुड़ी कथा
ऑएक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, महाभारत काल में सुदामा ने कृष्ण को सामक से बने पोहे भेंट किए थे। इस धार्मिक कथा के माध्यम से सामक चावल धीरे-धीरे व्रत का हिस्सा बन गया और नवरात्रि में इसे “व्रत के चावल” के रूप में लोकप्रियता मिली।
सामक चावल क्यों नहीं है असली चावल
वास्तव में सामक चावल चावल नहीं बल्कि बीज है, जो घास परिवार का मिलेट है। व्रत में अनाज (चावल, गेहूं) को भारी और तामसिक माना जाता है, इसलिए इनकी मनाही रहती है। वहीं मिलेट्स को हल्का और सात्विक माना जाता है, इसलिए व्रत में इन्हें खाने की अनुमति होती है।
खेती और पैदावार
सामक की खेती खासकर सूखी और कम उपजाऊ मिट्टियों में की जाती है। यह कम पानी में उगने वाली फसल है और वर्षा आधारित खेती के लिए आदर्श है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसकी फसल 2 से 2.5 महीने में तैयार हो जाती है और बुआई का समय क्षेत्र के अनुसार बदलता है।
प्रोसेस और व्रत के व्यंजन
फसल पकने पर पौधे पीले-भूरे हो जाते हैं, जिन्हें काटकर बीज अलग किए जाते हैं और धूप में सुखाकर पैक किया जाता है। सामक से खिचड़ी, पुलाव, खीर, पोहा, रोटी, पराठा, डोसा, इडली, लड्डू, मफिन और केक जैसे कई व्यंजन बनाए जा सकते हैं। सामक चावल न केवल हल्का और सात्विक है, बल्कि कठिन पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी उगने वाली फसल है। यही वजह है कि नवरात्रि में इसे व्रत का मुख्य अनाज माना जाता है।