सर्वपितृ अमावस्या पर ब्राह्मणों को दक्षिणा देने का महत्व,
जानें क्या दें दान, जिससे कट जाएं पाप
1 months ago
Written By: ANJALI
हिंदू धर्म में सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व है। इसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है, जब उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती या जिनका श्राद्ध किसी कारण से नहीं हो पाया हो। इस दिन किए गए श्राद्ध, तर्पण और दान से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ब्राह्मणों को दक्षिणा देने का महत्व
श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मणों को भोजन और दान-दक्षिणा देना केवल एक परंपरा ही नहीं, बल्कि यह धार्मिक कर्तव्य भी माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि दक्षिणा के बिना श्राद्ध अधूरा होता है। ऐसा माना जाता है कि दक्षिणा से ही ब्राह्मण का आशीर्वाद पूर्ण रूप से प्राप्त होता है और वह आशीर्वाद सीधे पितरों तक पहुंचकर उन्हें तृप्त करता है। ब्राह्मणों को दी गई दक्षिणा से पितरों की आत्मा प्रसन्न होकर अपने वंशजों को सुख, स्वास्थ्य, दीर्घायु और समृद्धि का आशीर्वाद देती है।
दक्षिणा में क्या दें?
1. धन
सबसे प्रचलित और महत्वपूर्ण दक्षिणा धन है। ब्राह्मण को यथाशक्ति रुपये-पैसे देना शुभ फलदायी माना जाता है। यह धन उन्हें अपनी जरूरत की चीजें खरीदने और गृहस्थ जीवन सुचारू रूप से चलाने में सहायक होता है।
2. कपड़े
नए और स्वच्छ वस्त्र जैसे धोती, कुर्ता, गमछा, साड़ी आदि दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। वस्त्र दान से ब्राह्मण की आवश्यकताओं की पूर्ति होती है और दानकर्ता को भी दीर्घायु और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
3. अनाज
गेहूं, चावल, दाल, तिल, और जौ जैसे अनाज का दान बेहद पवित्र और फलदायी है। विशेषकर तिल का दान पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। अनाज दान से घर में अन्न-धन की वृद्धि होती है।
4. जूते-चप्पल और छाता
प्राचीन परंपरा में कहा गया है कि श्राद्ध के समय दूर से आए ब्राह्मणों को जूते-चप्पल और छाता दान करना चाहिए। यह न केवल उपयोगी वस्तुएं हैं, बल्कि ब्राह्मण के दैनिक जीवन को सरल बनाने वाला दान भी है।
5. बर्तन
तांबे और कांसे के बर्तन जैसे थाली, लोटा, कलश या गिलास का दान अत्यंत शुभ माना गया है। यह धातुएं पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हैं।
6. उपयोगी वस्तुएं
ब्राह्मणों को शक्कर, नमक, सब्जियां, घी, तेल, गुड़, सूखे मेवे आदि देना भी बहुत पुण्यकारी है। यह दान उन्हें रोजमर्रा के जीवन में सहूलियत प्रदान करता है।
दान के नियम
दक्षिणा हमेशा भोजन कराने के बाद और सम्मानपूर्वक देनी चाहिए।
दान की वस्तुएं अच्छी, नई और स्वच्छ होनी चाहिए।
अगर एक से अधिक ब्राह्मणों को दान दे रहे हैं, तो सबको समान वस्तुएं और धन दें।
दान करते समय मन में किसी भी प्रकार का अहंकार या दिखावा नहीं होना चाहिए।